नई दिल्ली। बीबीसी की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। ऐसे में आयकर विभाग के सर्वे के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय की टीम बीबीसी एडमिन और एडिटोरियल विभाग के लोगों से पूछताछ करेगी। ईडी बीबीसी के खिलाफ फेमा के अंतरगत विदेशी फंडिंग में गड़बड़ी की जांच का रहा है। इस मामले में ईडी की ओर से पहले ही केस फाइल किया जा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक बताया गया कि संघीय जांच एजेंसी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के अंतरगत दस्तावेजों और कंपनी के कुछ अधिकारियों के बयानों की रिकॉर्डिंग भी मांगी है। जांच अनिवार्य रूप से कंपनी द्वारा कथित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के उल्लंघन को देख रही है।
फरवरी में दिल्ली में बीबीसी कार्यालय परिसर का सर्वेक्षण कर रहे आयकर विभाग की पृष्ठभूमि में यह कदम उठाया गया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, जो I-T विभाग का प्रशासनिक निकाय है, ने तब बताया था कि बीबीसी समूह की विभिन्न संस्थाओं द्वारा दिखाई गई आय और लाभ भारत में उनके संचालन के पैमाने के अनुरूप नहीं थे और इसकी विदेशी संस्थाओं द्वारा कुछ रेमिटेंसेज पर कर का भुगतान नहीं किया गया है। एफईएमए अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, विदेशी मुद्रा के इन्फ्लो और आउटफ्लो को नियंत्रित करता है।
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के दिल्ली और मुंबई स्थित कार्यालयों में फरवरी में आयकर विभाग का ‘सर्वे ऑपरेशन’ लगभग 60 घंटे चला था। इस दौरान अधिकारियों ने कुछ चुनिंदा कर्मचारियों के वित्तीय डेटा एकत्र किए थे और समाचार संस्थान के इलेक्ट्रॉनिक एवं कागजी आंकड़ों की प्रतियां बनाईं थीं। अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था कि आयकर अधिकारियों ने उपलब्ध स्टॉक की एक सूची बनाई, कुछ कर्मचारियों के बयान दर्ज किए और सर्वेक्षण कार्रवाई के तहत कुछ दस्तावेज जब्त किए। बीबीसी ने अपने बयान में बताया था कि ‘बीबीसी एक विश्वसनीय, स्वतंत्र मीडिया संस्थान है और हम अपने सहयोगियों और पत्रकारों के साथ खड़े हैं जो बिना किसी भय या पक्षपात के अपना काम करना जारी रखेंगे।’