उत्तराखंड। मकर सक्रांति (शुक्रवार) से मंगलकार्यों की शुरुआत हो जाएगी। इस दिन भगवान सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाने की परंपरा है। मकर सक्रांति पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर की ओर बढ़ने लगते हैं। पंडित मनमोहन डिमरी, आचार्य धर्मानंद और डॉ. आचार्य सुशांत राज का कहना है कि इस वर्ष मकर संक्रांति की शुरूआत रोहणी नक्षत्र में हो रही है, जो शाम 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों के मुताबिक इस नक्षत्र में दान-धर्म के कार्य और पूजा करना बेहद फलदायी होता है। इसके अलावा मकर संक्रांति पर ब्रह्म योग और आनंदादि योग भी रहेगा। डॉ. रोहिणी नक्षत्र में दान-धर्म के कार्य और पूजा करना बेहद फलदायी होता है। ब्रह्म योग दुर्लभ योग है, जो सुख, धन और खुशियों का मानक है। आनंदादि योग आनंद प्रदान करता है। पंडित मनमोहन डिमरी ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
साथ ही इस दिन तिल-गुड़, चावल-दाल की खिचड़ी आदि का दान करना भी शुभ माना गया है। शुक्रवार को पुण्य काल मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शाम 5 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। महापुण्य काल मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।