हिमाचल प्रदेश। देश के किसानों को आने वाले समय में अब आलू, गेहूं और धान का बीमारी रोधक बीज मिलेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक फसली नुकसान से बचाने के लिए बीमारी रोधक बीज विकसित कर रहे हैं। हाईब्रीड बीज से फसलों की पैदावार बढ़ेगी और किसानों की आर्थिकी भी सुधरेगी। केंद्रीय आलू अनुसंधान परिषद (सीपीआरआई) के वैज्ञानिक दो साल के भीतर आलू का हाईब्रीड बीज विकसित कर लेगी ताकि फसल में बीमारियों और वायरस की मार न पड़ सके। सोमवार को सीपीआरआई में देश भर के 200 वैज्ञानिकों ने चिंता जताई कि देश में हर साल बीमारियों से फसलों को 65 मिलियन टन का नुकसान होता है। बागवानी फसलों को यह क्षति 70 फीसदी तक होती है। अन्य देशों की तुलना में भारत में 467 ग्राम प्रति हेक्टेयर कीटनाशक दवाएं उपयोग होती हैं। इन दवाओं की 60 फीसदी तक खपत कपास में होती है। वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार वैज्ञानिकों से सलाह लेकर कीटनाशक नीति निर्धारित करे। सीपीआरआई में सोमवार को खाद्य सुरक्षा के लिए पौधों की बीमारियों पर नियंत्रण और प्रबंधन पर दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई है। मुख्य अतिथि कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति डॉ. एचके चौधरी ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को फसलों पर लगने वाले रोगों से निपटने के लिए लैब और खेतों पर बारीक नजर रखने की जरूरत है।