चीन। करीब पांच महीनों से अधिक समय से जारी रूस-यूक्रेन का युद्ध अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है कि इसी बीच एक नए युद्ध का खतरा विश्व पर मंडराने लगा है। यह युद्ध चीन और ताइवान के बीच होगा लेकिन इसके पीछे दो महाशक्तियां भी आमने- सामने होंगी। चीन ताइवान पर कब्जा जमाना चाहता है, क्योंकि ताइवान को वह अपना हिस्सा मानता है।
चीन के निशाने पर ताइवान और अमेरिका है। लम्बे समय से चीन का ताइवान और अमेरिका से गतिरोध चल रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की कड़ी सुरक्षा के बीच ताइवान की यात्रा से चीन आग बबूला हो गया है। इससे युद्ध की आशंका बढ़ गई है। चीन और अमेरिका एक-दूसरे को धमकी दे रहे हैं।
चीन और ताइवान के बीच जंग जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं, जो पूरी दुनिया के लिए गम्भीर चिन्ता का विषय बन गया है। यदि दुर्भाग्य से युद्ध होता है तो एक तरफ चीन और दूसरी ओर विश्व का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका होगा। युद्ध शुरू होने से पहले ही रूस और पाकिस्तान ने चीन को अपना समर्थन दे दिया है। रूस और अमेरिका के बीच लम्बे समय से कटुता और टकराव की स्थिति है।
अमेरिका और नाटो के हस्तक्षेप के कारण ही रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है। अब भी वह अमेरिका के खिलाफ है। अमेरिका ने उस पर कई तरह का प्रतिबन्ध लगाया है लेकिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन झुकने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में रूस का अमेरिका के खिलाफ जाना स्वाभाविक है। यूक्रेन से युद्ध पर जब विश्व के ज्यादातर देश रूस के खिलाफ थे तब चीन ने रूस का समर्थन किया था।
ऐसी स्थिति में रूस अपनी मित्रता का कर्ज अवश्य उतारना चाहेगा। इसी बहाने उसे अमेरिका को घेरने का अवसर मिलेगा। इसी प्रकार पाकिस्तान ने भी काफी सोच-समझकर अपनी रणनीति बनाई है। वैसे पाकिस्तान चीन के कर्ज से दबा हुआ है और उसकी स्थिति काफी खराब है। ऐसी स्थिति में वह चीन को समर्थन देना ही उचित समझता है। वैसे भी पाकिस्तान और अमेरिका के बीच सम्बन्ध खराब हो गए हैं। अब सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि युद्ध को कैसे रोका जाय, क्योंकि यह जंग पूरी दुनिया के लिए अहितकर होगा।