सभ्य व्यवहार करना जनप्रतिनिधियों की है जिम्मेदारी: लोकसभा अध्यक्ष
कर्नाटक। लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला ने संसदीय कार्यवाही में बाधा और हंगामे की निंदा की। उन्होंने कहा कि सांसदों और विधायिका के सदस्यों को व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में सम्मान पाने के लिए अनुशासिक व सम्मानजनक व्यवहार प्रदर्शित करना चाहिए। बिड़ला ने कहा कि इस समय देश भर में संसद और विधानमंडलों में अनुशासन, सम्मान और गरिमा बनाए रखने की जरूरत है। ओम बिड़ला, बंगलूरू में कर्नाटक विधानमंडल की ओर से आयोजित किए गए लोकतंत्र: संसदीय मूल्यों का बचाव विषय पर बोल रहे थे। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि इस संबंध में 1992, 1997 और 2001 में बैठकों की श्रृंखला हुई थी। यहां स्पीकरों, प्रधानमंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, संसदीय मामलों के मंत्री और विपक्षी नेताओं ने एक प्रस्ताव पारित किया था और उस प्रस्ताव को लागू करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि संसद और विधानमंडलों के सदस्यों से यह उम्मीद की जाती है कि वह अपने सार्वजनिक और निजी जीवन में मर्यादित व्यवहार करें ताकि अन्य लोग उनसे प्रेरणा ले सकें। लोकसभा अध्यक्ष ने संसद, विधानसभाओं और विधानपरिषदों में शोरगुल और हंगामे की घटनाओं को लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ करार दिया। उन्होंने कहा कि कि सदस्यों का इस तरह का व्यवहार एक गलत मिसाल है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता के प्रति अधिक जवाबदेह कैसे बनाया जाए, इस पर चर्चा करने की जरूरत है, लेकिन असल में ऐसा हो नहीं पा रहा है। बता दें कि संसद के हालिया मानसून सत्र का अधिकांश समय विपक्ष के हंगामे के चलते बर्बाद हुआ था। विपक्षी सदस्यों ने पेगासस जासूसी विवाद और किसान आंदोलन सहित कई अन्य मुद्दों को लेकर संसद की कार्यवाही में बाधा पहुंचाई थी। ओम बिड़ला ने कहा कि हमें मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि देश खुशहाल और समृद्ध हो सके। हम संसदीय लोकतंत्र को जितना अधिक मजबूत करेंगे लोगों के सामाजिक-आर्थिक जीवन में हम उतना ही अधिक बदलाव ला सकेंगे। वहीं कांग्रेस पार्टी ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने कांग्रेस विधायकों के इस कार्यक्रम से अनुपस्थित रहने पर दुख व्यक्त किया।