चित्रकूट। यूपी में निकाय चुनाव प्रचार को लेकर सीएम योगी चित्रकूट जिले के रामायण मेला परिसर में पहुंचे। यहां उन्होंने जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर कहकर चित्रकूट के सभी जनता जनार्दन को पूज्य संतों को मेरा प्रणाम।
इस जगह का कितना महत्व है, जहां तुलसीदास जी को भगवान हनुमान जी की कृपा से लक्ष्मण जी को राम जी के दर्शन हुए थे। पुराने समय में पीएम खुद पूरे देश में अकेले निकलते थे। अमृत महोत्सव की बारी आई, तो पूरे देश में एक साथ एकत्र होकर के महोत्सव में शामिल होने का काम किया था।
उन्होंने कहा कि भारत में आज क्या नहीं है। एक्सप्रेस हाईवे बन गए हैं, रेलवे की नई-नई लाइनें बिछ रही हैं। मेट्रो पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बेहतरीन माध्यम हो रहा है। एयरपोर्ट बन रहे हैं। बड़े-बड़े संस्थान तैयार हो रहे हैं। विरासत का सम्मान हो रहा है काशी में बाबा विश्वनाथ धाम, अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है।
अब मथुरा की बारी है और हम फिर से अपनी पुरातन पहचान को बनाए रखने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। यह चित्रकूट धाम है। इसके साथ ही इस धरती को सौभाग्य है कि महर्षि बाल्मीकि की जन्मभूमि भी लालापुर में है। तुलसीदास जी की पावन धरती राजापुर, चित्रकूट में है संस्कृत का पहला मौलिक ग्रंथ त्रिकालदर्शी लिखा था।
सीएम योगी ने आगे कहा कि मैं जब छह साल पहले चित्रकूट आया था, तो पूछा कि इतना पिछड़ा हुआ क्यों है… तो लोगों ने कहा कि छह बजे के बाद यहां शाम को लोग निकलते नहीं है। मैंने पूछा ऐसा कौन सा खर-दूषण आ गया है। लेकिन आज हमारे नेताओं की सक्रियता से उनका भी सफाया हुआ है।
सीएम योगी ने कहा कि चित्रकूट की भूमि संयम की धरती है, जहां संयम होगा वही साधना हो सकती है। प्रभु श्रीराम ने इसी चित्रकूट में 14 वर्ष के वनवास के सर्वाधिक समय साधना की थी। यहां लाखों की संख्या मे आने वाले श्रद्धालु मंदाकिनी में डुबकी लगाकर कामतानाथ की परिक्रमा करके धन्य होते हैं। कुछ लोग अपने कृत्यों से पाप का घड़ा इतना भर लेते है कि स्वयं के लिए पहचान का संकट पैदा करते ही है। साथ ही समाज के लिए भी पहचान का संकट पैदा कर देते है। 2017 के पहले यही पहचान का संकट उत्तरप्रदेश में भी पैदा कर दिया गया था।