लोकतंत्र को लेकर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ आयोजन
नई दिल्ली। नई दिल्ली में लोकतंत्र को लेकर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपना संबोधन दिया है। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी को 75 वर्ष हो गए हैं। जब हम आजाद हुए, हमारे देश की संविधान सभा बनी, संविधान सभा ने मल्टी पार्टी डेमोक्रेटिक सिस्टम को स्वीकार किया। बहुत सोच समझकर स्वीकार किया था जो उचित फैसला था। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा और कहा कि साल 2014 आते-आते देश में राम-राज की परिकल्पना ध्वस्त हो चुकी थी। जनता के मन में ये आशंका थी कि कहीं हमारी बहुपक्षीय लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था फेल तो नहीं हो गई। लेकिन देश की जनता ने धैर्य से फैसला देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी जी को पूर्ण बहुमत के साथ देश का शासन सौंपा और हमारी सरकार उनकी उम्मीद पर खड़ी उतरी। अमित शाह ने कहा कि साल 2014 के बाद विश्व पटल पर भारत की संस्कृति का देवदूत बनकर पीएम मोदी ने 177 देशों की सहमति लेकर आज हमारे योग, आर्युवेद को दुनिया भर में पहुंचाने का काम किया है। मैं मानता हूं कि आजादी के बाद भारत की संस्कृति का ध्वज वाहक बनकर पीएम मोदी ने UN में भाषण किया है। अमित शाह ने कहा कि 2014 से पहले लगता था कि कभी भी हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। लेकिन तब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित किया। तभी लोगों के अंदर का आक्रोश आशा में परिवर्तित होता दिखने लगा। अमित शाह ने कहा कि इतने बड़े देश में मल्टी पार्टी डेमोक्रेटिक सिस्टम होना चाहिए, हर पार्टी की एक आईडियोलॉजी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने कई सारे बदलाव लाने का प्रयास किया। बहुत सारे कार्य उन्होंने गुजरात में किए। रिफॉर्म्स, पारदर्शिता पर उन्होंने काम किए। उन्होंने वहां सर्व स्पर्शी और सर्व समावेशक विकास की शुरुआत की।