योग। नियमित योग और एक्सरसाइज करने से कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। बिजी रहने की वजह से या घर से बाहर न जाने की आदत के चलते कई बार महिलाओं के लिए जिम या योग केंद्र जाना पॉसिबल नहीं हो पाता है। लेकिन अगर आप चाहें तो घर में रहकर भी कुछ खास योगासन की मदद ले सकती हैं। जो आपको स्वस्थ रखने में अच्छी भूमिका निभा सकते हैं।
वैसे तो कोई भी आसन सुबह के समय करना बेहतर होता है लेकिन समय न मिलने पर जब भी करें तो खाना खाने के बाद कम से कम दो घंटे का गैप जरूर रखें। इतना ही नहीं इन योगासनों को करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
चक्की चलनासन:-
इस योगासन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर योगा मैट बिछाकर बैठ जाएं। अपने दोनों पैरों को आगे की तरफ फैला कर मैक्सिमम गैप बनाएं। इस दौरान रीढ़ की हड्डी को सीधा रखे। अब हाथों को जमीन पर एकदम सामने की ओर सीधा रखकर उंगलियों को आपस में फंसा लें। फिर अपने हाथों को क्लॉक वाइज यानी दायीं से बायीं तरह गोल-गोल उसी तरह से घुमायें जैसे चक्की चलाई जाती है।
इसके बाद विपरीत दिशा में यही प्रक्रिया दोहराएं। इस योगासन को शुरू में एक-दो मिनट करें फिर धीरे-धीरे समय को बढ़ाएं। इस योगासन से पीसीओडी की दिक्कत में राहत मिलती है। जिससे अनियमित मासिक धर्म धीरे-धीरे नियमित होने लगता है साथ ही दर्द और ऐंठन से भी राहत मिलती है। ये मेंटल स्ट्रेस को कम करने और मोटापे से निजात दिलाने में भी मदद करता है।
तितली आसन:-
तितली आसन करने के लिए योगा मैट पर सूर्य की ओर मुख कर के आराम की मुद्रा में बैठें। फिर अपने दोनों पैरों को आगे की तरफ फैला कर इस तरह से मोड़ें जिससे दोनों पैरों के तलवे आपस में मिल जाएं। अब दोनों हाथों से पैर के तलवों को अच्छी तरह से पकड़ लें। अब तितली की तरह अपने पैरों को हिलाएं।
इस आसन को भी शुरू में एक-दो मिनट करें फिर अपनी कैपिसिटी के अनुसार धीरे-धीरे इसका समय बढ़ाएं। तितली आसन करने से भी पीसीओडी की दिक्कत से राहत मिलती है। साथ ही पीठ का दर्द और मसल्स स्ट्रेस भी दूर होता है। इस आसन को तीन महीने की गर्भावस्था के बाद भी किया जा सकता है। ये आसन डिलीवरी को आसान बनाने में भी मदद करता है। नियमित रूप से तितली आसन करने से ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है।
दंडासन:-
दंडासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर बैठ जायें और पैरों को सामने की ओर फैला कर आपस में मिला लें। फिर दोनों हाथों को कंधों के बराबर अपनी जांघों के पास सीधा जमीन पर रखें। इस बीच रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखें। अब दोनों पैरों के पंजो को अपनी ओर खींचें, कुछ सेकेंड रोक कर रखें फिर ढीला छोड़ दें।
इस प्रक्रिया को दस से पंद्रह बार अपने सामर्थ्य के अनुसार दोहराएं। इस आसन को किसी भी आयु और अवस्था की महिलाएं आसानी से कर सकती हैं। दंडासन करने से कंधों में खिंचाव की दिक्कत कम होती है। रीढ़ की हड्डी लचीली और मजबूत होती है, मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और पाचन शक्ति बढ़ती है।