डॉक्टरों ने खोज लिया ब्लैक फंगस का सस्ता और आसान इलाज…
नई दिल्ली। डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस का सस्ता और आसान उपचार तलाश लिया है। अब फंगस के मरीजों के लिए सिर्फ एम्फोटेरिसिन बी दवा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों पर प्रयोग के बाद पता लगाया है कि पोटेशियम आयोडाइड के जरिए भी ब्लैक फंगस यानी म्यूकोर्मिकोसिस बीमारी का इलाज किया जा सकता है। अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर कबीर सरदाना ने बताया कि हाल ही में एक 54 वर्षीय मरीज को एम्फोटेरिसिन-बी दिया गया, लेकिन संक्रमण फैलता जा रहा था। यह मरीज की त्वचा तक पहुंच गया था। ऐसे में उन्होंने पोटेशियम आयोडाइड का इस्तेमाल करते हुए प्रयोग किया तो उसमें कुछ ही दिन बाद सफलता हासिल हुई। इस सफलता के बाद डॉ. सरदाना की निगरानी में सात डॉक्टरों ने चिकित्सीय अध्ययन किया, जिसे विले ऑनलाइन लाइब्रेरी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया है। डॉक्टरों ने बताया कि कई मरीजों में एम्फोटेरिसिन बी कारगर है, लेकिन कुछ में इसका असर नहीं हो रहा है। चूंकि दवा और इंसुलिन की अधिक खुराक भी नहीं दी जा सकती है, ऐसे में पोटेशियम आयोडाइड के जरिए संक्रमण को नियंत्रण में लाया जा सकता है। अब तक इसका इस्तेमाल स्पोरोट्रीकोसिस और जाइगोमाइकोसिस जैसे फंगल संक्रमणों के इलाज में किया गया है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान स्टेरॉयड का इस्तेमाल बढ़ने और लोगों की इम्युनिटी पर असर पड़ने के कारण कोरोना से उबरने वालों में ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ने लगे। अब तक देश में 60 हजार से ज्यादा लोग ब्लैक फंगस से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यह फंगस होने पर नाक, जबड़े और मस्तिष्क के साथ साथ आंखों की ओर तेजी से बढ़ता है। जिस अंग में यह पहुंचता है, उसे पूरी तरह से नष्ट करना पड़ता है। दिल्ली में दूसरी लहर के दौरान जब ब्लैक फंगस के मामले तेजी से सामने आए थे तो बाजार में एम्फोटेरिसिन बी दवा की भारी मांग होने लगी थी। यह दवा आसानी से उपलब्ध भी नहीं हो रही थी। कालाबाजारी बढ़ने के कारण सरकार को इसे अपने नियंत्रण में लेना पड़ा था। डॉक्टरों का कहना है कि ब्लैक फंगस के लिए अब पोटेशियम आयोडाइड का विकल्प भी हो सकता है।