हेल्थ। मिर्गी उन स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है जिसको लेकर देश में कई प्रकार का भ्रम और अंधविश्वास देखने को मिलता है। मिर्गी के शिकार लोगों को दौरे पड़ने की दिक्कत हो सकती है, ग्रामीण क्षेत्रों में जानकारी के अभाव में अब भी लोग इसके लिए झाड़-फूंक जैसे उपाय करते रहते हैं। मिर्गी के इसी भ्रम को दूर करने और लोगों को इस बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्सी डे मनाया जाता है।
डॉक्टर कहते हैं, मिर्गी की दिक्कत को इलाज के माध्यम से ठीक किया जा सकता है, झाड़-फूंक और अंधविश्वास के चक्करों में पड़ना रोग की जटिलताओं को समय के साथ बढ़ाने का कारण बन सकता है।मिर्गी, न्यूरोलॉजिकल से संबंधित विकार है जिसमें मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य हो जाती है। इसके कारण दौरे पड़ने, असामान्य व्यवहार, संवेदनाओं में कमी और कभी-कभी बेहोशी की स्थिति पैदा हो सकती है। चूंकि यह एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, ऐसे में इसका समय पर उपचार करके रोग की गंभीरता को कम करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिल सकती है। आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।
क्यों होती है मिर्गी की दिक्कत?
मिर्गी किसी को भी हो सकती है, लेकिन आमतौर पर छोटे बच्चों और बुजुर्गों में इसका जोखिम अधिक होता है। वर्ष 2021 में प्रकाशित शोध के अनुसार, महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मिर्गी का जोखिम अधिक पाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मिर्गी से पीड़ित लगभग आधे से अधिक लोगों में इसका कारण निर्धारित नहीं किया जा सकता है।
एपिलेप्सी फाउंडेशन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पहली बार 1990 के दशक में मिर्गी से जुड़े जीन की पहचान की थी। इसके अलावा कुछ और कारक हो सकते हैं, जो मिर्गी का जोखिम बढ़ा देते हैं। आइए जानें…
- मस्तिष्क की चोट।
- गंभीर बीमारी के दुष्प्रभाव का तंत्रिका पर असर।
- मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी।
- आनुवंशिक या तंत्रिका संबंधी रोग।
- ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट।
- गर्भावस्था में कुछ दवाइयों के सेवन के दुष्प्रभाव, प्रसवपूर्व चोट, मस्तिष्क की विकृति या जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी।