लखनऊ। अब इथेनाल बनाने में मक्के की प्रजातियों की मदद ली जाएगी। यह परियोजना केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से स्वीकृत की गई है राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) के वैज्ञानिक अब लुधियाना स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर मक्के की विभिन्न प्रजातियों से इथेनाल बनाने की तकनीक विकसित करेंगे। इसके लिए दोनों संस्थानों के बीच बातचीत के बाद सहमति भी बन गई है।
परियोजना के तहत भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन के अनुसार विभिन्न कृषि क्षेत्रों के लिए मक्के की विभिन्न प्रजातियां विकसित करेंगे। इन प्रजातियों से इथेनाल बनाने की प्रक्रिया, प्रति टन एथेनाल की मात्रा व लागत मूल्य का आकलन राष्ट्रीय शर्करा संस्थान करेगा।
भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. सुजय रक्षित ने बताया कि, देश में मक्के की लगभग 450 हाइब्रिड प्रजातियां हैं, जिनकी स्क्रीनिंग करके 10 से 15 हाइब्रिड का चयन एथेनाल उत्पादन के लिए किया जाएगा। इधर एनएसआइ के निदेशक प्रो.नरेन्द्र मोहन ने बताया कि भारत सरकार इथेनाल उत्पादन के लिए चीनी मिलों से प्राप्त शीरे और अन्य स्टाक के अलावा चावल और मक्के से भी इथेनाल इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
यह इकाइयां विभिन्न राज्यों में स्थापित की जाएंगी। उन राज्यों में जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए यह जरूरी है कि मक्के की ऐसी प्रजातियां विकसित की जाएं, जिनसे पैदावार ज्यादा हो और अधिक इथेनाल का उत्पादन किया जा सके। सरकार की ओर से वर्ष 2025 तक पेट्रोल में इथेनाल की ब्लेंडिंग (मिलावट) का लक्ष्य 20 प्रतिशत तय किया गया है। इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए अनाज आधारित इथेनाल उत्पादन की दिशा में कार्य किया जा रहा है।