असम। हिंदू पंचांग के अनुसार गंगा दशहरा का पर्व ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन जीवनदायिनी मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। इस दिन गंगा स्नान और दान का अनंत फल प्राप्त होता है।
पुराणों में वर्णन है कि इस दिन गंगा में डूबकी लगाने से समस्त पाप कट जाते हैं। इस बार गंगा दशहरा का पर्व 9 जून को मनाया जाएगा। इस बार गंगा दशहरा के दिन चार प्रकार के शुभ योग बन रहे है। गंगा दशहरा के दिन गुरु-चंद्रमा और मंगल का दृष्टि संबंध
होने से गज केसरी और महालक्ष्मी योग का निर्माण हो रहा है। वहीं, वृष राशि में सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग भी होगा। इसके अलावा, सूर्य और चंद्रमा के नक्षत्रों से पूरे दिन रवि योग रहेगा। ऐसे चार शुभ महायोगों में दान स्नान का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है।
मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में हुआ था। इसलिए हस्त नक्षत्र में किये गए पूजा-पाठ और मांगलिक कार्य पूर्णत: सफल होते हैं। पंचांग के मुताबिक़ गंगा दशहरा पर हस्त नक्षत्र 9 जून को प्रातः
काल 4 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 10 जून की सुबह सूर्योदय से पहले तक रहेगा। स्कंद पुराण के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन पवित्र नदी में स्नान करके ध्यान और दान करना चाहिए। इससे व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
गंगा दशहरा के दिन स्नान के बाद दान देने की परंपरा है जिससे सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। जीवन की तमाम समस्याओं से निजात मिल जाता है। दान करने से ग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति मिलना आसान हो जाती है।
गंगा स्नान का शुभ समय
- शुभचौघड़िया- सूर्योदय से लेकर 7 बजकर 7 मिनट तक
- शुभयोग- सुबह 8 बजकर 23 मिनट से दोपहर 2 बजकर 5 मिनट तक
- सफलतायोग- सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक