रांची। झारखण्ड विधानसभा के विशेष सत्र में सोमवार को हेमन्त सोरेन की सरकार ने विश्वासमत जीतकर अवश्य बड़ी राहत हासिल की है लेकिन अभी संकट पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। सदन के विशेष सत्र में विपक्ष ने भारी शोर- शराबे के बाद सदन से बर्हिगमन कर दिया था। वैसे संख्या बल को देखते हुए हेमन्त सोरेन सरकार का विश्वासमत जीतना प्रत्याशित था।
81 सदस्यीय विधानसभा में हेमन्त सोरेन सरकार के पक्ष में 48 वोट पड़े, जबकि बहुमत का आंकड़ा 41 है। राज्य में सबसे बड़ी पार्टी झारखण्ड मुक्ति मोरचा (झामुमो) है जिसके 30 विधायक हैं। कांग्रेस के 18 और तेजस्वी यादव के राष्ट्रीय जनता दल का एक विधायक हैं । सत्तारूढ़ गठबन्धन के पास कुल 49 विधायक हैं, जबकि मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के पास 26२६ विधायक हैं।
मुख्य मंत्री हेमन्त सोरेन ने अपनी पार्टी में टूट की आशंका को देखते हुए सभी विधायकों को छत्तीसगढ़ के रायपुर में विशेष विमान से पहुंचा दिया था और सभी विधायक विशेष सत्र में भाग लेने के लिए रविवार को विमान से रांची आ गये थे। हेमन्त सोरेन ने रविवार को विधायकों के साथ बैठक भी की थी । हेमन्त सोरेन विधायकों को एकजुट रखने में सफल रहे जिसका परिणाम है कि सोरेन ने विश्वासमत जीतने में भी सफलता प्राप्त की।
मुख्य मंत्री सोरेन ने सदन में विश्वासमत पेश करने के साथ विपक्षी दल भाजपा पर अनेक आरोप लगाए। सदन में सत्ता और विपक्ष के बीच वाक् युद्ध हुआ। विपक्ष के बर्हिगमन के बाद सोरेन अपने पक्ष में 48 वोट पाकर विजयी हुए। उल्लेखनीय है कि झारखण्ड के विपक्षी दल भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के खिलाफ लाभ के पद के मामले में निर्वाचन आयोग में याचिका दायर की थी और आयोग ने 25 अगस्त को राज्यपाल रमेश बैस को अपना फैसला भेज दिया था। राज्यपाल कभी भी अपना फैसला सुना सकते हैं। ऐसी स्थिति में हेमन्त सोरेन सरकार के समक्ष कोई नई चुनौती भी आ सकती है जिसका सामना सोरेन सरकार को करना पड़ सकता है।