History of 14 August: क्या है 14 अगस्त का इतिहास? जानें क्यों इस रात को कहा जाता है ‘काली रात’

History of 14 August: 15 अगस्‍त 1947 को भारत आजाद हुआ था। लेकिन इसके एक दिन पहले की रात 14 अगस्त की उस आधी रात को हिन्‍दुस्‍तान में जो हुआ उसने देश के इतिहास और भूगोल को बदल कर रख दिया। आपको बता दें कि उस रात हम अंग्रेजों की 250 वर्षो से चली आ रही की गुलामी की जंजीरों से तो आजाद हो गए, लेकिन जाते-जाते वह हमें बंटवारे का दर्द दे गए। आज ही के दिन यानी 14 अगस्त के ही दिन की इस काली रात को हिन्‍दुस्‍तान का बटवारा हुआ था। जिसकी वजह से करोड़ों लोगों को अपने मकान, दुकान और तमाम संपत्ति छोड़कर विस्‍थापित होना पड़ा था। इस दौरान हुए दंगों में लाखों लोगों ने अपनों को हमेशा के लिए खो दिया था।

जिन्‍होंने एक साथ आजादी का सपना देखा, वहीं एकदूसरे के खून के प्‍यासे

हिदुस्‍तान के उस बटवारें से एक तरफ भारत बना तो दूसरी तरफ पाकिस्तान। बंटवारे का दर्द सहने वाले परिवार इसे कभी नहीं भूल पाए। बंटवारे की ये त्रासदी 20वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदियों में एक मानी जाती है। इस दौरान चारों तरफ हिंसा फैली हुई थी। लोग जिनके साथ उठते-बैठते थे, वे अपनों के ही दुश्मन बन बैठे। गुलाम भारत में जिन लोगों ने एकसाथ आजादी का सपना देखा था, बंटवारे के बाद वही एकदूसरे के खून के प्‍यासे हो गए। कहा जाता है कि बंटवारे का सबसे ज्यादा दर्द दोनों मुल्‍कों की महिलाओं ने झेला। बंटबारे की यह दर्द लगभग 10 लाख लोगों की जान ले गया।

 

आज ही के दिन हुआ इतिहास का सबसे बड़ा विभाजन

सरहद के दोनों तरफ से लगभग एक करोड़ लोग भारत और पाकिस्‍तान चले आए। एक आंकड़े के मुताबित उस समय यह दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ी संख्या में लोगों का विस्थापन था।
कुछ लोग भारत विभाजन के खिलाफ थे, कुछ पक्ष में थे और कुछ ऐसे लोग थे, जो भारत के धर्म आधारित विभाजन के खिलाफ थे, तो कुछ लोग ऐसे भी थे जो यह मानते थे कि जब धर्म के आधार पर विभाजन हो ही रहा है तो फिर जनता की अदल-बदली भी होनी चाहिए और ठीक-ठीक विभाजन होना चाहिए ता‍कि बाद में किसी प्रकार का विवाद न हो।

 

14 अगस्‍त को वजूद में आया पाकिस्‍तान

14 अगस्‍त के दिन ही भारत से अलग होकर पाकिस्‍तान वजूद में आया था। पाकिस्‍तान को 14 अगस्‍त 1947 को ही स्‍वयंभू राष्‍ट्र का दर्जा हासिल हुआ था, और आज ही के दिन पाकिस्‍तान अपना स्‍वतंत्रता दिवस भी मनाता है। वहीं, जानकारों का मानना है कि ब्रिटिश सरकार ने बंटवारे की प्रक्रिया ठीक से नहीं निभाई। देश में शांति व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी भारत और पाकिस्तान की नई सरकार पर आई। लेकिन दोनों देशों की नई सरकार के पास हिंसा से निपटने के जरूरी इंतजाम नहीं थे। किसी ने सोचा नहीं था कि करोड़ों लोग एक मुल्क से दूसरे मुल्क जाएंगे।

मुस्‍लमानों ने की अलग मुल्‍क की मांग

ब्रिटिश हुकूमत से स्‍वतंत्रा मिलने के साथ ही देश के दो हिस्‍से और फिर करोड़ों लोगों का एक देश से दूसरे में विस्‍थापित होना भारत के लिए सबसे पेंचीदा दौर था। जब भारत को आजादी मिली, तब देश की कुल आबादी करीब 40 करोड़ थी। आजादी मिलने के पहले से ही मुसलमान अपने लिए अलग मुल्क की मांग कर रहे थे।

इस दिन हुआ दोनो देशो के बीच सीमा रेखा तय

कहा जाता है कि सीरिल रेडक्लिफ की खींची इस एक लकीर ने दोनों देशों के हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कभी खत्म नहीं होने वाली खाई पैदा कर दी। पाकिस्तान को 14 अगस्त 1947 को आजादी मिली और 15 अगस्त 1947 को हिंदुस्तान ने आजादी का जश्‍न मनाया। लेकिन, दोनों देशों के बीच की सीमा रेखा तय करने में 17 अगस्त तक का समय लग गया। 17 अगस्त 1947 को दोनों देशों के बीच सीमाएं खींच गईं। इसके बाद हालात बिगड़ते चले गए। बंटवारे से दो देश तो बन गए, लेकिन इसने दो मुल्कों के बीच हमेशा के लिए नफरत का बीज बो दिया गया।

 

 

 

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