वाराणसी। वाराणसी में इस वर्ष होली मनाए जाने को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। बनारस में कब होली मनेगी इसको लेकर ज्योतिष अलग-अलग तर्क दें रहे हैं। होली की तारीख पर भ्रम के बीच वाराणसी में दो दिन रंगों का त्योहार मनाया जाएगा। कहीं रंग तो कहीं फूलों की होली होगी। दोनों दिन विविध आयोजन भी होंगे। शहर के कुछ हिस्सों में जहां छह मार्च की मध्य रात्रि के बाद होलिका दहन की तैयारी है।
वहीं, कुछ हिस्सों में 7 मार्च की शाम को होलिका दहन की तैयारी चल रही है। वरुणा पार इलाके में तो अधिकांश जगहों पर 7 मार्च की शाम को गोधूलि बेला में होलिका दहन किया जाएगा। वाराणसी के आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी सात मार्च की शाम को होलिका दहन होगा और 8 मार्च को होली मनाई जाएगी।
वाराणसी में होलिका दहन के दूसरे दिन चौसठ्ठी देवी की यात्रा की परंपरा होने के कारण शहरी क्षेत्र में होली का त्योहार 7 मार्च को मनाने की तैयारी चल रही है। उदया तिथि में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा का मान आठ मार्च को होने के कारण शहर को छोड़कर आसपास के गांव और वरुणा पार के इलाके में होली का त्योहार मनेगा।
होलिका दहन का मुहूर्त और काशी की परंपरा :-
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा छह मार्च की शाम को 4:18 बजे से लगेगी और सात मार्च की शाम को 5:30 बजे समाप्त हो रही है। ऐसे में प्रदोष काल व्यापिनी पूर्णिमा में होलिका दहन छह मार्च को किया जाएगा। पूर्णिमा के साथ भद्रा होने के कारण भद्रा के पुच्छकाल में होलिका दहन का मुहूर्त रात्रि में 12:30 बजे से 1:30 बजे तक मिलेगा।
पूर्णिमा 7 मार्च को समाप्त होने के बाद चैत्र कृष्ण प्रतिपदा शाम को शुरू हो रही है, लेकिन होली उदया तिथि में मनाने का शास्त्रीय विधान है। ऐसे में आठ मार्च को होली मनाई जाएगी। प्रो. विनय पांडेय का कहना है कि वाराणसी की बात करें तो यहां में होली के लिए अलग परंपरा है। काशी में जिस रात को होलिका दहन होता है, उसके अगले दिन चाहे प्रतिपदा हो चाहे पूर्णिमा हो होली मनाई जाती है।
यह ऐसी परंपरा है, जो शास्त्र से हटकर है। होलिका दहन के दूसरे दिन काशीवासी चौसठ्ठी देवी योगिनी की यात्रा निकालते हैं। जब होली जलाकर यात्रा के लिए निकलते हैं तो अबीर, गुलाल और रंग खेलते हुए निकलते हैं। चौसठ्ठी देवी केवल वाराणसी में ही विराजती हैं, इसलिए इस परंपरा का पालन भी काशीवासी ही करते हैं। ऐसे में केवल वाराणसी में होली 7 मार्च को और अन्य जगहों पर आठ मार्च को मनेगी।
सात मार्च की शाम को होगा होलिका दहन :-
काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि 7 मार्च को पूर्णिमा का मान शाम को 5:40 बजे तक है और सूर्यास्त 5:49 बजे होगा। ऐसे में पूर्णिमा के बाद 49 घटी और 38 पल का सूर्यास्त मिल रहा है। ऐसे में 7 मार्च की शाम को भद्रा का अंत, पूर्णिमा का अंत और सूर्यास्त भी मिल रहा है। ऐसे में काशी की जनता 7 मार्च की गोधूलि बेला में होलिका दहन करके आठ मार्च को होली मनाएगी। सात मार्च को शाम को हुताशिनी की जन्म जयंती और भगवान चैतन्य प्रभु का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। 7 मार्च को भद्रा का समापन होने के बाद गोधूलि बेला में होलिका दहन होगा।
ज्योतिषाचार्य पं. विमल जैन ने बताया कि छह मार्च को भद्रा शाम 4:18 मिनट से अर्द्धरात्रि के पश्चात 5:15 बजे तक रहेगी। भद्रा पुच्छ की शुरुआत 12:30 बजे से होगी और स्नान, दान और व्रत का पर्व फाल्गुनी पूर्णिमा सात मार्च को मनाई जाएगी।