बढ़ती उम्र में जवान दिखने के लिए करें ये योगासन

योग। उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर में भी परिवर्तन होने लगता है। आंतरिक तौर पर शरीर कमजोर होने लगता है तो वहीं बाहर से त्वचा संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। शरीर का लचीलापन कम होने से निष्क्रियता बढ़ती है। स्किन  सिकुड़े लगती है और झुर्रियां आने लगती हैं। इस तरह की उम्र के साथ होने वाली शारीरिक समस्याओं से बचने के लिए फ्लैक्सीबल और स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। इसके लिए नियमित योगाभ्यास, हेल्दी डाइट बेहतर उपाय है।

नियमित योग से शरीर सक्रिय रहता है। खोया हुआ लचीलापन वापस आने के साथ उम्र के साथ होने वाली बीमारियों से भी बचाव होता है। इसके अलावा स्किन भी स्वस्थ रहती है। आप किसी कार्य को करने में कमजोर नहीं होते, न ही दिखने में आपकी उम्र अधिक लगती है। स्वस्थ शरीर और त्वचा के लिए चार योगासन हैं, जिन्हें 30 की उम्र के पार वाले लोगों को रोजाना करना चाहिए। तो चलिए जानते हैं बढ़ती उम्र में शरीर में लचीलापन और जवान दिखने के लिए योगासन के बारे में।

अधोमुखश्वानासन :-
इस आसन का  नियमित अभ्यास पाचन को सुधारता है, रक्त संचार को बढ़ाता है, ऊर्जा प्रदान करना है। हाथ पैरों को टोन करने के साथ ही एंग्जाइटी को भी कंट्रोल करने का काम करता है। इस आसन को करने के लिए हथेलियों को घुटनों से शुरू करते हुए कंधों के नीचे तक ले जाएं और घुटनों को हिप्स के नीचे करें। फिर हिप्स को ऊपर उठाकर अपने घुटनों को सीधा करें। इस तरह आपको उल्टा वी का आकार बनाना है। अपने पैरों को संयोजित करते हुए एड़ी को फर्श से छूने की कोशिश करें। कुछ सेकंड रहने के बाद इसे फिर से दोहराएं।

उत्तानासन :-
इस आसन को करने से दिमाग शांत रहता है। लीवर की कार्यक्षमता बढ़ती है और किडनी भी अच्‍छे तरीके से काम करती है। मांसपेशियां मजबूत और लचीली होती हैं। साथ ही इम्यूनिटी बढ़ती है। उत्तानासन को करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। लंबी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं और फिर सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे की ओर ले जाएं। इस दौरान पैरों के अंगूठे को छूने की कोशिश करें और पुनः उसी अवस्था में आ जाएं।

मालासन :-
इस योगासन को करने से जांघ और पेट की चर्बी को कम होती है। इसे करने से शरीर सक्रिय होता है। जोड़ों में लचीलापन आता है। पेट, कंधे, गर्दन और पीठ की मांसपेशियों का ढीलापन कम होता है। गर्दन के आसपास जकड़न दूर होती है। मालासन करने के लिए मल त्याग की अवस्था में बैठ जाएं और नमस्कार की मुद्रा बनाते हुए दोनों हाथों की कोहनियों को घुटनों से लगा दें। इस दौरान धीरे-धीरे सांस अंदर खींचें और बाहर छोड़ें। कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद आराम से खड़े हो जाएं।

पर्श्वोत्तनासन :-
पर्श्वोत्तनासन रीढ़ की हड्डियों, कमर, हथेली और शरीर के निचले हिस्से को मजबूत बनाने में सहायता करता है। पैरों को बढ़ाता है और रोगप्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है। इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। अब सांस खींचते हुए हल्का सा कूदें। एक पैर को तीन से चार फीट की दूरी पर रखें। दोनों हाथों को हिप्स रखें और दाएं पैर को आगे बढ़ाएं। अब दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए सांस खींचें और जमीन पर हाथों को रखें। अपना माथा दाएं पैर के घुटने से टच कराएं।

 

 

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