रोचक जानकारी। बारिश के मौसम में काले बादल ज्यादा नजर आते हैं। क्या आपको मालूम है कि बारिश वाले ये बादल आखिर कितना पानी लेकर चलते हैं? ये इतना ढेर सारा पानी होता है कि आप इसकी मात्रा सुनकर हैरान हो जाएंगे।
क्या आपने कभी काले बादलों को देखकर सोचा है कि वो अपने भीतर पानी कैसे छिपाकर रखते हैं और कैसे एकदम से इसे छोड़ देते हैं। ये पानी कभी रिमझिम होकर बरसता है तो कभी मूसलाधार तरीके से। इन बादलों में इतना पानी होता है कि पूरे शहर को अपने पानी से भर दें।
कैसे बनते हैं पानी के बादल:-
सबसे पहले आपको पता होना चाहिए कि बादल किसी पानी के बड़े गुब्बारे की तरह होते हैं, जिनमें बहुत सारा पानी इकट्ठा होता है। बादल कैसे अपने भीतर पानी छुपाकर रखते हैं, इस सवाल का जवाब आसान नहीं है। हमारे आस-पास की हवा पानी से भरी हुई है। पानी तीन रूपों में आता है: तरल (जिसे आप पीते हैं), ठोस (बर्फ) और गैस (हवा में नमी)। बादल के अंदर पानी की मात्रा आपके चारों ओर हवा में पानी की मात्रा से कुछ अलग नहीं है।
बादल के अंदर का ठंडा तापमान इस नमी या वाष्प को तरल में बदल देता है। यह तरल बादलों में लाखों, अरबों या यहां तक कि खरबों छोटी पानी की बूंदों के रूप में मौजूद रहता है। वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को संक्षेपण या कंडेंसेशन कहते हैं। पानी की बूंदों का ये बड़ा गट्ठर जमीन पर गिरेगा या नहीं यानि बारिश होगी कि नहीं, ये कई कारकों पर निर्भर करता है। लेकिन जब तक बादल के संपर्क में रहने वाली बूंदें छोटी होती हैं तो उनका वजन बहुत कम होता है, तब वो हवा के साथ तैरती रहती हैं।
बादल की बूंद बहुत छोटी हैं और बहुत कम वज़नी। बादल में, वे हवा के साथ तैरती हैं या बस हवा में लटकती हैं। पृथ्वी पर गिरने के लिए, बादल की बूंदों को भारी होना पड़ता है। जब वो अन्य बूंदों के साथ मिलकर भारी हो जाती हैं तो बारिश के रूप में पृथ्वी पर आने लगती हैं। बारिश के होने में एक अहम फैक्टर पृथ्वी की आकर्षण शक्ति भी होती है। जो बादलों के पानी को अपनी ओर खींचती हैं।
एक बादल कितनी बारिश कर सकता है:-
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि एक वर्ग मील के क्षेत्र में गिरने वाली एक इंच बारिश 17.4 मिलियन गैलन पानी के बराबर होती है। इतना पानी लगभग 143 मिलियन पौंड वजन का होगा! यानि कई सौ हाथियों के वजन के बराबर। आप अब खुद सोच सकते हैं कि जब बादल तैरते हैं तो ये हल्के फुल्के नहीं होते बल्कि अपने साथ खासा वजन लेकर चलते हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक,एक औसत कम्यूलस क्लाउड का वजन 1.1 मिलियन पाउंड है। इसके बारे में आप कुछ देर सोचें।
इसका मतलब है कि मानसून आने के बाद किसी भी पल आपके सिर से ऊपर लाखों पाउंड पानी तैर रहा होता है। यह पानी 100 हाथियों के बराबर होता है। बादल पानी या बर्फ़ के हज़ारों नन्हें-नन्हें कणों से मिलकर बनते हैं। ये नन्हें कण इतने हल्के होते हैं कि वे हवा में आसानी से उड़ने लगते हैं।
कितने तरह के होते हैं बादल:-
बादल के मुख्य तौर पर तीन तरह के होते हैं- सिरस, क्युमुलस और स्ट्रेटस। इन नामों को बादलों की प्रकृति और आकार के आधार पर रखा गया है। ऊँचाई पर उड़ने वाले सबसे सामान्य बादल सिरस कहलाते हैं। सिरस का अर्थ है गोलाकार। इन्हें लगभग रोज़ आसमान में देखा जा सकता है। ये बादल हल्के और फुसफुसे होते हैं। ये बर्फ के कणों से बने होते हैं। यहाँ तक कि गर्मी के मौसम में दिखने वाले बादलों में भी बर्फ के कण होते हैं क्योंकि उतनी ऊँचाई पर काफ़ी सर्दी होती है।
क्युमुलस का अर्थ है ढेर। अपने नाम की ही तरह ये बादल रूई के ढेर की तरह दिखते हैं। अगर ये गहरे रंग के होते हैं तब इनसे पानी या ओलों की वर्षा हो सकती है। ऐसे बादलों को क्युमुलोनिंबस कहते हैं। इनमें अक्सर आधा करोड़ टन से ज्यादा पानी होता है।