पैरेंटिंग। जब बच्चों को स्कूल जाना होता है तो वे स्कूल न जाने के हजारों बहाने बनाने लगते है। वहीं कुछ बच्चे हंसते खेलते स्कूल जाते हैं, लेकिन कुछ बच्चों को स्कूल भेजने के लिए बेहद ही सख्त होना पड़ता है। ऐसे बच्चे स्कूल के माहौल को एन्जॉय नहीं कर पाते और बार-बार वो घर जानें के लिए जिद करते है। जिसके कई कारण हो सकते है, जो बच्चे के मन में नकारात्मक भावनाओं को जगाने का काम करता है। ऐसे में माता पिता के लिए बेहद ही आवश्यक है कि वह अपने बच्चे की परेशानियों को समझने का प्रयास करें और उन परेशानियों को दूर करने का उपाय करें। अगर पैरेंट्स ऐसे हालात से निपटने के लिए मारपीट करें या बच्चों की बात पर भरोसा ना करें तो यह उनके कोमल मन पर बुरा असर डालती है और समस्या और बढ़ सकती है। इसीलिए आज हम आपको इस समस्या से निजाद पाने के बारे में बात करेगें। तो चलिए जानते है कि आखिर इस परेशानी से कैसे निपटा जा सकता है..
स्कूल जाने से क्यों लगता है डर
- कई बार ऐसा होता है कि बच्चों का आत्मविश्वास की कमी होती है जिससे उन्हें असफ होने का डर सताते रहता है।
- कई बच्चों को स्कूल के नियमों को फॉलो करने में परेशानी आती है जिसके कारण वो अकेलापन महसूस करने लगते हैं।
- स्कूल के बच्चे हर बात में यदि कॉम्पटीशन करते हैं और वह बार बार हार रहा है तो इसकी वजह से भी ऐसा हो सकता है।
- ज्यादातर बच्चों को यह महसूस होता है कि स्कूल जाने पर वे अपने माता पिता से बिछुड़ जाएंगे और वे स्कूल में तनाव में रहने लगते हैं।
- कई बार स्कूल में टीचर के कुछ सवालों का जवाब ना दे पाने की वजह से डांट का डर भी बच्चों के मन में डर बना देता है और उनका मनोबल कम हो जाता है।जिससे वो स्कूल जाने से डरने लगते है।
स्कूल जाने के डर को इस तरह करें दूर
बच्चों को मानसिक रूप से करें तैयार – यदि बच्चे का नए स्कूल में एडमिशन करा रहे हैं तो उस स्कूल में बच्चे को जरूर विजिट कराएं और उसकी क्लास टीचर, स्टूडेंट, स्टाफ आदि से पहले ही भेंट करा दें। और कोशिश करें कि लोगों से अच्छे माहौल में वो मिले। आप उनके साथ कुछ मजेदार बात करें जिससे हंसी का माहौल रहे। ऐसा करने से बच्चा कंफर्टेबल हो पाएगा।
सेपरेशन के डर को करें दूर – बच्चे को कभी भी यह महसूस ना कराएं कि उसे खुद से दूर करने के लिए स्कूल भेजा जा रहा है। बेहतर होगा कि आप उसा मनोबल बढ़ाएं और स्कूल की अच्छी बातों के बारे में उसे बताएं। वही यदि बच्चा रो रहा है तो उसे दूसरे बच्चों से तुलना ना करें इससे उनके मन में और भी डर हो जाता है कि उसके माता पिता उसे पसंद नहीं करते। वे अपना आत्मविश्वास और भी खो देते हैं।
चेहरे पर रखें पॉजिटिव फीलिंग – बच्चों को यह भरोसा दिलाएं कि आप जानते हैं कि वह बेहतर तरीके से स्कूल में खुद की परेशानियों को डील कर सकता है। शांत रहें और डांट लगाने या मार पीट करने से बचें।
बच्चे से करें बात – हमेशा अपने बच्चों के साथ दोस्त की तरह बात करें। आप उन्हें अपने स्कूल और स्कूल की मस्ती के बारे में भी बताएं और यह भी बताएं कि वे भी स्कूल में कभी कभी डांट खाते थे। उन्हें महसूस कराएं कि स्कूल बहुत मजेदार जगह है जहां वह तरह तरह की मस्ती कर सकते हैं।
स्कूल के बारे में पूछें – बच्चों को शुरू में खुद स्कूल लेने और छोड़ने जाएं। उनसे रोजाना स्कूल के बारे में बात करें। कुछ गलत होने पर भी उन्हें इस बारे में प्यार से समझाएं। अपनी कमियों और गलतियों को पॉजिटिव तरीके से सुधारने की बात करें। टीचर से कॉम्यूनिकेशन बनाकर रखें, लेकिन बच्चों के सामने उनसे बात करने से बचें।
हिम्मत दें और तारीफ भी करें – बच्चे को खुद के इस डर से आगे बढ़ने की हिम्मत दें और उसे महसूस कराएं कि वो अपनी परेशानियों से खुद निपट लेगा और स्कूल में दोस्त आदि बना लेगा। अगर वह स्कूल में कुछ भी अच्छा कर रहा है, लोगों से बात कर रहा है, दोस्ती कर रहा है तो उसे एप्रिशिएट करें। ऐसा करने से उसे हिम्मत मिलेगी।