नई दिल्ली। कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ स्वदेशी टीका कोवैक्सीन के असर को लेकर चर्चा का दौर जारी है। हालांकि इसके 50 फीसदी प्रभाव को भी विशेषज्ञ खराब नहीं मानते हैं। कोवैक्सीन के तीसरे चरण के नतीजों के आधार पर कोरोना वायरस के लक्षण वाले मरीजों पर इसे 77.8 फीसदी असरदार पाया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कौवैक्सीन के असर में कमी न तो हैरान करने वाली है और न ही खराब है। डेल्टा वैरिएंट के कारण इस साल देश में अप्रैल से मई के दौरान कोरोना संक्रमण चरम पर पहुंच गया था और हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। वैक्सीन के असर को लेकर दो अलग-अलग आंकड़ों के सामने आने के बाद चिंता बढ़ गई थी। लेकिन विशेषज्ञों ने इन चिंताओं को खारिज किया है। इनका कहना है कि डेल्टा वैरिएंट की ताकत, कोरोना की दूसरी लहर की तीव्रता और स्वास्थ्यकर्मियों के ज्यादा मरीजों के बीच काम करने की वजह से नवीनतम आंकड़े सामने आए हैं। दरअसल लैंसेट पत्रिका में बुधवार को नया शोध प्रकाशित हुआ था जिसमें कहा गया है कि कोवैक्सीन को डेल्टा वैरिएंट संक्रमण के खिलाफ 50 फीसदी प्रभावी पाया गया है। यह अध्ययन नई दिल्ली के एम्स में काम करने वाले कर्मचारियों बीच 15 अप्रैल से 15 मई के दौरान किया गया था।