नई दिल्ली। भगवान शिव का वार सोमवार माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवार के दिन भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा की जाए तो सारे क्लेशों से मुक्ति मिलती है और मनोकामना पूर्ण होती है। यह भी मान्यता है कि सोमवार के दिन शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाने एवं रूद्राक्ष की माला से ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप 108 बार करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शिवपूजा का सर्वमान्य पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’,जो प्रारंभ में ॐ के संयोग से षडाक्षर हो जाता है, भगवान शिव को शीघ्र ही प्रसन्न कर देता है। हृदय में ‘ॐ नमः शिवाय’ का मंत्र समाहित होने पर संपूर्ण शास्त्र ज्ञान एवं शुभकार्यों का ज्ञान स्वयं ही प्राप्त हो जाता है। शिव पुराण के अनुसार इस मंत्र के ऋषि वामदेव हैं एवं स्वयं शिव इसके देवता हैं। नमः शिवाय की पंच ध्वनियाँ सृष्टि में मौजूद पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि बनी है और प्रलयकाल में उसी में विलीन हो जाती है। भगवान शिव सृष्टि को नियंत्रित करने वाले देव माने जाते हैं। क्रमानुसार न पृथ्वी, मः’पानी,’शि’अग्नि ,’वा’ प्राणवायु और ‘य’ आकाश को इंगित करता है। शिव के पंचाक्षर मंत्र से सृष्टि के पांचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है। शिवपुराण के अनुसार एक बार माँ पार्वती भोलेनाथ से पूछती हैं कि कलियुग में समस्त पापों को दूर करने के लिए किस मंत्र का आशय लेना चाहिए, देवी पार्वती के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान शिव कहते हैं कि प्रलय काल में जब सृष्टि में सब समाप्त हो गया था, तब मेरी आज्ञा से समस्त वेद और शास्त्र पंचाक्षर में विलीन हो गए थे। सबसे पहले शिवजी ने अपने पांच मुखों से यह मंत्र ब्रह्माजी को प्रदान किया था। धर्मग्रंथों के अनुसार “ॐ नमः शिवाय” के जप से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं एवं इस मंत्र के जप से आपके सभी दुःख, सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आप पर शिवजी की असीम कृपा बरसने लगती है। स्कन्दपुराण में कहा गया है कि ॐ नमः शिवाय ‘महामंत्र जिसके मन में वास करता है, उसके लिए बहुत से मंत्र,तीर्थ,तप व यज्ञों की क्या जरूरत है। यह मंत्र मोक्ष प्रदाता है, पापों का नाश करता है और साधक को लौकिक, परलौकिक सुख देने वाला है। शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र का जप हमें शिव मंदिर, तीर्थ या घर में साफ, शांत व एकांत जगह में बैठकर करना चाहिए। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार हर दिन रूद्राक्ष की माला से करना चाहिए, क्योकि रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है। यदि आप पवित्र नदी के किनारे शिवलिंग की स्थापना और पूजन के बाद जप करेंगे तो उसका फल सबसे उत्तम प्राप्त होगा। शिव के ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जाप किसी भी समय किया जाता है। इसके उच्चारण से समस्त इंद्रियां जाग उठती हैं।इसके धार्मिक लाभ के अलावा ‘ॐ नम: शिवाय’मंत्र स्वास्थ्य लाभ भी देता है। जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।