नई दिल्ली। सरकार लोगों को महंगाई से राहत नहीं दे पा रही है। महंगाई से जूझ रही जनता की दिक्कतें अब और बढ़ गई हैं। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नई दरें सोमवार से लागू होने के कारण जनता को अब अधिक धन का भुगतान करना पड़ रहा है। कई उत्पाद महंगे हो गए हैं। इससे पैक और लेबल वाले खाद्य पदार्थ जैसे आटा, पनीर और दही के दाम बढ़ गए है। अब इन वस्तुओं पर पांच प्रतिशत जीएसटी देना पड़ रहा है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की पूर्व की बैठक में डिब्बा बंद और लेवलयुक्त (फ्रोजन को छोड़कर) मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने का निर्णय किया गया था। अब यह प्रभावी हो गई है। राहत की बात यह है कि खुले में बिकने वाले बिना ब्राण्ड वाले उत्पादों पर जीएसटी की छूट जारी रहेगी। ट्रेटा पैक और बैंक की ओर से जारी चेक पर 18 प्रतिशत और एटलस सहित नक्शे और चार्ट पर 12 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है।
प्रिंटिंग- डाइंग स्याही, धारदार चाकू, कागज काटने वाले चाकू और पेंसिल शार्पनर, एलईडी लैम्प पर कर की दर बढ़ा कर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। पांच हजार रुपए से अधिक किराये वाले अस्पतालों के कमरों पर जीएसटी देय होगा। एक हजार रुपए प्रतिदिन से कम किराये वाले होटल के कमरों पर 12 प्रतिशत की दर से कर लग गया है। रोप-वे के माध्यम से वस्तुओं और यात्रियों के परिवहन तथा कुछ सर्जरी से जुड़े उपकरणों पर कर की दरें 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी गई है।
ट्रक, वस्तुओं की ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले वाहनों पर अब 12 प्रतिशत कर लगेगा, जो अभी 18 प्रतिशत है। जो भी हो, जीएसटी की नई दरों में राहत कम और बोझ अधिक है। इसका आम आदमी पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। वस्तुएं महंगी होने से उपभोक्ताओं की क्रयशक्ति कम होगी और इससे बिक्री पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ऐसी स्थिति में सरकार का राजस्व भी प्रभावित होगा। वर्तमान दौर में जनता को राहत देने की आवश्यकता अधिक है। इस पर सरकार को विचार करना चाहिए।