नई दिल्ली। पंजाब के चण्डीगढ़ में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में इनवटेंड ड्यूटी स्ट्रक्चर को तर्क संगत बनाने और गैर- ब्राण्डेड के नाम पर जीएसटी चोरी रोकने के लिए खाद्य उत्पादों को भी जीएसटी के दायरे में लाया गया है। जीएसटी में किया गया बदलाव 18 जुलाई से प्रभावी होगा।
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) दर में बढ़ोतरी का निर्णय महंगाई झेल रही जनता पर एक और बड़ा बोझ है। पिछले दिनों भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ऋण महंगा किया और अब जीएसटी दर बढ़ा दिए जाने से लोगों की दिक्कतें और बढ़ेंगी। इस महंगाई के दौर में जनता को राहत देने की बजाय खाद्य पदार्थों को और महंगा करना कहीं से भी उचित नहीं है। इससे राजस्व जरूर बढ़ेगा लेकिन जनता की आर्थिक दिक्कतें बढ़ेंगी।
अब लोगों को गैर-ब्राण्डेड अनाज से लेकर दही, दूध, छाछ, सब्जी- फल पर भी जीएसटी चुकाना होगा। इससे अब चेक बुक लेने पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी देना होगा, जो उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ होगा। हालांकि फाइलेरिया की दवा, हड्डी से जुड़ी बीमारी के उपकरण और सैन्य उत्पादों पर जीएसटी कम हुई है, लेकिन बिना ब्राण्ड वाले खाने के उत्पादों और अनाजों पर जीएसटी लगाकर महंगाई को और हवा दी गई है, जो जनता की अतिरिक्त दिक्कतों को और बढ़ायेगी।
जीएसटी में बदलाव से होटल में ठहरना जहां महंगा हो जायगा, वहीं इलाज के खर्च में भी वृद्धि होगी। चमड़े से जुड़े जाब वर्क पर पांच की जगह 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। जीएसटी काउंसिल का जीएसटी दर में वृद्धि का निर्णय जनता की मुसीबत बढ़ाने वाला है। इससे लोगों की क्रय शक्ति प्रभावित होगी और मांग घटेगी, जो सरकार और अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं होगा। सरकार को जीएसटी की बढ़ाई गई दर को कम कर जनता को राहत पहुंचाने के उपाय करने चाहिए।