उत्तराखंड। उत्तराखंड में सख्त भू-कानून बनाए जाने की मांग को लेकर शुरू की गई एक हजार किलोमीटर की भू-कानून यात्रा का आज सोमवार को गांधी पार्क देहरादून में समापन किया जाएगा। उक्रांद के वरिष्ठ पदाधिकारी यात्रा का स्वागत करेंगे।
वहीं दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने बताया कि यात्रा मुख्यमंत्री निवास के पास से शुरू की गई थी, जो चकराता, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, चमोली, अल्मोड़ा, नैनीताल, हल्द्वानी, हरिद्वार होते हुए आज वापस देहरादून पहुंचेगी। इस दौरान गांधी पार्क से निकला लगभग 500 लोगों का जुलूस, भू-कानून के लिए अवाज उठाई। उत्तराखंड की संस्कृति, सभ्यता व पहचान को दर्शाती अद्भुत सांस्कृतिक रैली रविवार को शहर में निकली गई।
वहीं पारंपरिक वेशभूषा पहनकर पहुंची अद्भुत सांस्कृतिक रैली में लगभग 400 महिलाओं ने संस्कृति के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित किया। वहीं पहाड़ी गीत गाते और सामूहिक नृत्य करते हुए रैली गांधी पार्क से शुरू हुई। इस दौरान महिलाओं ने एक सुर में भू-कानून की मांग के लिए नारेबाजी करते हुए कहा कि भू-कानून का मतलब सीधे-सीधे राज्य की संस्कृति, सभ्यता और पहचान से हैं।
इस दौरान उत्तराखंड महिला मंच ने अपने 28 वें स्थापना दिवस पर लगभग 500 लोगों ने वाद्य यंत्रों की गूंज और नारेबाजी के साथ गांधी पार्क से घंटाघर, पलटन बाजार होते हुए शहीद स्थल तक सांस्कृतिक जुलूस निकाला। वहीं जुलूस के माध्यम से मंच ने राज्य के ज्वलंत मुद्दों को भी उठाया, जिसमें भू-कानून संयुक्त संघर्ष मोर्चा, गढ़वाल सभा, आंदोलनकारी मंच, युवा शक्ति संगठन सहित विभिन्न संगठनों ने साथ दिया।
महिलाओं ने उत्तराखंडी वेशभूषा में अलग-अलग क्षेत्रीय सामूहिक सांस्कृतिक गीतों व नृत्य का प्रदर्शन करते हुए उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए नारेबाजी भी की। वहीं पूर्व महिला मंच संयोजक कमला पंत ने इस मौके पर कहा कि वर्तमान राज्य व्यवस्था व राज्य सरकारों की नीतियों के चलते, उत्तराखंड की संस्कृति उसकी अस्मिता, पहचान व जीवन शैली खतरे में पड़ती जा रही है।
आपको बता दें कि जिस पलायन को रोकने और युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने की उम्मीद में उत्तराखंड की मातृशक्ति, युवा शक्ति ने संघर्ष किया, उस राज्य में आज पहले से ज्यादा पलायन व बेरोजगारी बढ़ी है। संयोजक कमला पंत ने कहा कि उत्तराखंड की कला-संस्कृति व यहां के लोगों की जीवन शैली खानपान भाषा बोली खतरे में है।
वहीं जिस तरह से यहां की जमीनें, भूमाफियाओं के हाथों जा रही हैं, उससे तो उत्तराखंड की अपनी पहचान व संस्कृति ही खत्म हो जाएगी। इसीलिए आज इस सांस्कृतिक जुलूस के जरिए जन-जन को और सरकार को भी जगाने के लिए इस स्थापना दिवस पर विशेष सांस्कृतिक रैली निकाल रहे हैं।
वहीं महिला मंच की जिला अध्यक्ष और गढ़वाल सभा की उपाध्यक्ष निर्मला बिष्ट ने कहा कि सरकार अपने 2018 के भू-कानून को तत्काल वापस ले। उन्होंने कहा कि यह हमारी पहचान का सवाल है। युवा शक्ति संगठन के मनीष और आशीष गुसाईं ने कहा कि हिमाचल की तर्ज पर सरकार भू-कानून लागू करे। मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा दिलाने और जन भावना के अनुरूप गैरसैंण को राजधानी बनाने की भी मांग उठाई गई। शहीद स्मारक स्थल पर उत्तराखंड के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।