जम्मू कश्मीर। जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने रविवार को जम्मू-कश्मीर की पहली साइबर सुरक्षा नीति को लॉन्च किया। कटड़ा में एसएमवीडीयू के सभागार में आयोजित दो दिवसीय 25वें राष्ट्रीय ई गर्वनेंस सम्मेलन के दौरान इस नीति को जारी किया गया।
इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल विशेष तौर पर उपस्थि रहे। इस दौरान जम्मू-कश्मीर और हरियाणा सरकार ने ई-गवर्नेंस प्रदान करने की दिशा में अपनाई गई पहलों पर विशेषज्ञता और अनुभव साझा करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए।
एलजी मनोज सिन्हा ने कहा, ‘राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन जम्मू कश्मीर के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है। दो साल की छोटी अवधि में हमने ई-ऑफिस के माध्यम से एक उपयोगकर्ता-केंद्रित सेवा वितरण प्रणाली और पेपरलेस प्रशासनिक कार्यों को बनाने के लिए एक बड़ी छलांग लगाई है।’
एलजी सिन्हा ने कहा, प्रौद्योगिकी ने नियमों और प्रक्रियाओं को फिर से डिजाइन किया है, जिससे सिस्टम में जवाबदेही और पारदर्शिता आई है और हमें अधिक प्रभावी और कुशलता से सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया गया है।
उन्होंने कहा, प्रौद्योगिकी लोगों के जीवन में वास्तविक अंतर ला रही है। 2013 में, ई-ट्रांजेक्शन की कुल संख्या केवल 20 लाख थी। इस वर्ष 25 नवंबर तक ई-ट्रांजेक्शन की संख्या 38.50 करोड़ है। जम्मू-कश्मीर औसतन हर मिनट 550 ई-ट्रांजेक्शन कर रहा है।
दो दिवसीय ई गर्वनेंस सम्मेलन का आयोजन प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं जम्मू कश्मीर सरकार के सहयोग से किया गया। सम्मेलन का विषय ‘नागरिक, उद्योग और सरकार को करीब लाना’ था।
जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में घाटी में पथराव और हड़ताल की घटनाओं में कमी के साथ जम्मू-कश्मीर की तस्वीर में बहुत बदलाव आया है। उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में ई-गवर्नेंस पहल की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डिजिटल मिशन की मदद से विशेष रूप से नशा मुक्त समाज बनाने के लिए विभिन्न पहल की जा रही है। मुख्य सचिव ने कहा, घाटी के युवा सोपोर में रात में भी क्रिकेट खेल रहे हैं, जो जम्मू-कश्मीर में बदलाव की एक तस्वीर है।