Lucknow building collapse: घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित

लखनऊ। लखनऊ में पांच मंजिला इमारत मलबे के ढेर में तब्दील हो गई।यूपी की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज इलाके के पांच मंजिला अलाया अपार्टमेंट के ढह जाने की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में लखनऊ के आयुक्त रोशन जैकब, संयुक्त पुलिस आयुक्त लखनऊ पीयूष मोर्डिया और चीफ इंजीनियर पीडब्ल्यूडी लखनऊ को शामिल किया गया है। यह कमेटी एक सप्ताह में जिम्मेदार लोगों को चिह्नित कर रिपोर्ट देगी। वहीं पूर्व सपा नेता जीशान हैदर की मां की हादसे में मौत हो गई। डॉक्टरों ने उनकी मौत की पुष्टि की है।

हजरतगंज में अलाया अपार्टमेंट जिस जमीन पर बना था वह सपा के पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर के बेटे व भतीजे की है। हालांकि, उनके परिवार का कोई सदस्य इस हादसे के समय अपार्टमेंट में नहीं था। एलडीए ने पूर्व मंत्री के बेटे नवाजिश और भतीजे तारिक तथा बिल्डर फहद याजदान को अवैध निर्माण के लिए नोटिस भेज दिया है।

अपार्टमेंट का निर्माण करीब 4000 वर्ग फीट पर किया गया था। पांच मंजिला इस इमारत को बनाने के समय न सेटबैक छोड़ा गया और न जरूरी संपर्क रास्ता। एलडीए के एक अधिकारी के मुताबिक अभी तक इमारत का कोई नक्शा सामने नहीं आया है। उधर, हादसे के बाद अभी भी राहत व बचाव कार्य जारी है। घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। मौके पर एसडीआरएफ की टीम व कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं।

हादसे के शिकार एक बुजुर्ग ने बताया कि हादसे से ऐसा लगा मानो भूचाल आ गया हो। सब जगह अंधेरा सा छा गया। पिछले छह से सात दिनों से ड्रिल मशीन से काम चल रहा था। उन्होंने कई बार पूछा भी बच्चों की पढ़ाई भी हो रही है। ड्रिल मशीन सुबह से चलती है तो कितनी परेशानी होती है। बुजुर्ग ने बताया कि उनकी कार और बाइक मलबे में दब गई।

24 से 48 घंटे भी लग सकते हैं:-
यूपी डीजीपी का कहना है कि हादसे रेस्क्यू पूरा होने में 24 से 48 घंटे भी लग सकते हैं। उन्होंने कहा कि पहले लगा कि 18 घंटे में काम पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मलबे के पिछले हिस्से में अब भी दो लोग दबे हुए हैं। हालांकि, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। ये लोग अपने किसी क्लाइंट से मिलने आए थे।

जवानों ने झोंक दी पूरी ताकत:-
पुलिस, एसडीआरएफ, सेना और दमकल के जवानों ने जिंदगियां बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। वह खुद की परवाह किए बगैर मलबे में दबी जिंदगियों को बाहर निकालने में जुटे रहे। मलबे में जैसे ही कोई दिखता, जवान राहत की सांस लेते थे। उसके तत्काल बाहर निकालकर मेडिकल टीम को सुपुर्द कर देते थे। एंबुलेंस से उसे अस्पताल ले जाया जाता था। ये सिलसिला रातभर चलता रहा।

मलबा हटाने के लिए तीन जेसीबी लगाई गईं। एसडीआरएफ की टीम अपने आधुनिक उपकरणों से मलबे को काट-काटकर हटाते रहे। जेसीबी से ऊपरी मलबा हटाया जाता रहा, क्योंकि अगर गहराई से जेसीबी चलाते तो दबे लोगों के उससे घायल होने की संभावना हो जाती। इसलिए हाथों वाली ड्रिलिंग मशीन से एहतियात बरतते हुए मलबा हटाया गया। सेना की मेडिकल टीम भी मौके पर पहुंची। घटना पर ही ये टीम घायलों का प्राथमिक उपचार करने लगीं। जिससे इलाज में किसी तरह की देरी न हो।

 

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