Delhi: भारत और श्रीलंका के ऐतिहासिक व बहुआयामी संबंधों को नई गति देने के उद्देश्य से श्रीलंका की प्रधानमंत्री डॉ. हरीनी अमरासूरिया ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की. प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंकाई प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए कहा कि उनकी यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को और सुदृढ़ बनाएगी. उन्होंने इस वर्ष अप्रैल में श्रीलंका की अपनी राजकीय यात्रा को याद किया, जिसके दौरान उन्होंने राष्ट्रपति अनुरा कुमारा डिसानायका के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को लेकर उपयोगी चर्चाएं की थीं.
पीएम मोदी ने एक्स पर दी जानकारी
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है. बैठक में शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, नवाचार, विकास से जुड़े मुद्दों पर सहयोग और हमारे मछुआरों के कल्याण समेत कई विषयों पर चर्चा हुई.’’ पीएम मोदी ने कहा, ‘‘करीबी पड़ोसी होने के नाते हमारा सहयोग हमारे दोनों देशों के लोगों और साझा क्षेत्र की समृद्धि के लिए बहुत महत्व रखता है.’’
श्रीलंका की पीएम का तीन दिवसीय भारत दौरा
बता दें कि श्रीलंका की पीएम हरिनी अमरसूर्या गुरुवार से तीन दिवसीय दौरे पर भारत आई हैं. शीर्ष पद का कार्यभार संभालने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है. अमरसूर्या की भारत यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की श्रीलंका यात्रा के छह महीने बाद हो रही है. अमरसूर्या ने शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने के लिए आईआईटी दिल्ली का भी दौरा किया. इसके अलावा उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज का भी दौरा किया.
हिंदू कॉलेज का अमरसूर्या ने किया दौरा
श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या ने अपने पूर्व संस्थान हिंदू कॉलेज में अपने छात्र जीवन की यादें ताजा कीं. कॉलेज की प्रतिष्ठित पूर्व छात्रा अमरसूर्या ने 1991 से 1994 तक दिल्ली विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की.
छात्रों से की अपील
दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) में अपने संबोधन में, उन्होंने भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म को खत्म करके राजनीतिक संस्कृति को बदलने की बात कही और नागरिकों से राजनीति से विमुख न होने की गुजारिश की. “आइए राजनीति में जो हमें पसंद नहीं है उसे बदलें – कुछ राजनीतिक दलों की संस्कृतियां, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, आम नागरिकों से दूरी. आइए इसे बदलें, लेकिन राजनीति को नकारें नहीं, क्योंकि राजनीति के बिना आप दुनिया को नहीं बदल पाएंगे, और यही हमें करना है.”
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