india china border dipute updates: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया की चीन के साथ बॉर्डर विवाद पर बातचीत खत्म नहीं हुई है। तीन सालों में दोनों देश बॉर्डर पर विवाद को लेकर आगे बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि विवाद के अहम मुद्दों पर बातचीत के दौरान काफी प्रगति हुई है। ‘भारत-चीन सीमा विवाद पर चर्चा रुकी नहीं है। जल्द ही इसे लेकर मीटिंग होने वाली है।’
आपको बता दें कि साल 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा विवाद के दौरान हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सेनाओं के स्तर पर निरंतर बातचीत की जा रही है। जयशंकर ने कहा कि ‘बीते नौ सालों में पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सरकार ने उत्तरी सीमा सहित बॉर्डर के क्षेत्रों में मूलभूत ढांचे के सुधार पर काफी फोकस किया है। 2014 के बाद जब भारत की तरफ से सीमा पर बुनियादी ढांचे पर बड़ा जोर दिया गया, तो चीन की तरफ से भी प्रतिस्पर्धा में गश्त बढ़ गई है’
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भारत-भूटान रेलमार्ग
उन्होंने कहा कि ‘हम भूटान और असम के बीच रेल लिंक पर बातचीत कर रहे हैं। पर्यटकों के लिए और अधिक प्वाइंट खोलने के लिए भूटान बहुत उत्सुक है और यह असम के लिए बहुत अच्छा है। वे बातचीत कर रहे हैं, और 24 दौर की बातचीत हो चुकी चुके हैं। अभी इसे लेकर और बैठकें आयोजित होंगी। आपको बता दें कि बीते 23 अप्रैल को चुशुल मोल्डो बॉर्डर पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच 18वें राउंड की बैठक हुई थी। विदेश मंत्री ने कहा कि हम ध्यान से यह देख रहे हैं कि कौन सी चीजें हमें प्रभावित कर सकती हैं। काम की गति उन्हें निर्धारित करनी है।”
कैलाश मानसरोवर यात्रा
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जयशंकर ने कहा कि “कैलाश मानसरोवर – बुनियादी ढांचे का निर्माण हो रहा है, वहां एक सुरंग की जरूरत है, सीमा सड़क संगठन इसपर काम कर रहा है और योजना बना रहा है, लेकिन पुरानी प्रक्रिया पर वापस आने के लिए चीन की ओर से कोई संकेत नहीं मिला है।”
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म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग
म्यांमार त्रिपक्षीय राजमार्ग पर विदेश मंत्री ने कहा कि ‘वहां मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण यह राजमार्ग बड़ी चुनौती बना हुआ है। भारत को परियोजना को पूरा कर म्यांमार के सिटवे बंदरगाह तक पहुंच प्राप्त करने के लिए म्यांमार में अधिकारियों के साथ बातचीत करनी होगी।