पुष्कर/राजस्थान। कुमारखंड में भगवान शंकर के पुत्र कुमार कार्तिकेय और भगवान श्री गणेश जी की संपूर्ण कथा का गान किया गया है। कहीं पुत्र की पूजा हुई तो पिता की नहीं, कहीं पिता की पूजा हुई तो पुत्र की नहीं। भगवान श्री राम, भगवान श्री कृष्ण के बहुत मंदिर बने लेकिन उनके पिता या पुत्र के स्वतंत्र मंदिर बहुत अधिक नहीं बने। श्री सीताराम जी युगल सरकार के मंदिर पूरी धरती पर विद्यमान है लेकिन केवल भगवती सीता के स्वतंत्र मंदिर बहुत अधिक नहीं हैं, श्री राधा कृष्ण के मंदिर पूरे धरती पर विद्यमान हैं लेकिन स्वतंत्र श्री राधारानी के मंदिर जिसमें भगवती राधारानी ही विराजमान हैं ऐसा मंदिर बहुत अधिक नहीं हैं। बिल्कुल नहीं है ऐसा भी नहीं है बरसाने में तो श्री जी का ही साम्राज्य है। वहां किशोरी श्री राधा रानी जी का ही मुख्य मंदिर है। श्रीधाम जनकपुर में माता सीता का ही साम्राज्य है और वहां जो मुख्य मंदिर है वह माता-सीता का ही है।
भगवान शंकर का पूरा परिवार पूजनीय है। भगवान शिव के जितने मंदिर हैं माता जी के उससे उन्नीस नहीं इक्कीस ही मंदिर हैं। भगवान् शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय हैं, पूरा दक्षिण भारत कुमार कार्तिकेय की पूजा करता है और छोटे पुत्र श्री गणेश जी की तो बहुत महिमा है। किसी भी देवता की पूजा करो तो पहले गणेश जी की पूजा करो, श्री गणेश जी तो प्रथम पूज्य हैं। शिवजी की पूजा सर्वत्र होती है। अंबे,जगदंबे,दुर्गा,काली माँ शेरावाली के रूप में माता जी की पूजा भी पूरे संसार में होती है, पुत्र कुमार कार्तिकेय और गणेश जी की पूजा भी सर्वत्र विद्यमान है। पुत्रवधू रिद्धि सिद्धि हैं तो उनकी पूजा भी होती है। पौत्र शुभ और लाभ हैं तो उनकी भी पूजा होती है। वाहन के रूप में नंदी हैं तो धर्म के रूप में उनकी भी पूजा होती है। भगवान शिव नाग धारण करते हैं तो नाग पंचमी के दिन नाग पूजा भी होती है। शिव का पूरा परिवार पूजनीय है।
भगवान शंकर कल्पवृक्ष हैं। शिव पूजा करने से, भगवान शंकर को जल चढ़ाने से, व्यक्ति को सब कुछ प्राप्त हो जाता है। जितने शुभ हैं वह सब शिव पूजा से प्राप्त होते हैं। और जितने अशुभ हैं वह भगवान शंकर की कृपा से समाप्त हो जाते हैं। कोई भक्त जब हर हर महादेव कहता है तो भगवान बदले में उसके दुःख, पाप, कष्ट सबका हरण कर लेते हैं। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि-कल की कथा में रुद्रसंहिता के पंचम खंड की कथा होगी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।