दशकों पहले टूटी जैव-विविधता की कड़ी को फिर से मिला जोड़ने का मौका: पीएम मोदी

नई दिल्ली। नीमीबिया से आए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ने के बाद पीएम मोदी ने देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा, दशकों पहले जैव-विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है। उन्‍होने कहा, आज भारत की धरती पर चीते लौट आए हैं और इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है।

पीएम मोदी ने कहा, मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहां की सरकार का भी धन्यवाद करता हूं, जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं। यह दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ।

पीएम मोदी ने कहा, आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है। विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं। कूनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहाँ का पारिस्थितिकी तंत्र फिर से मजबूत होगा और जैव विविधिता बढ़ेगी।

देशवासियों को दिखाना होगा धैर्य:-  
पीएम मोदी ने कहा, कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा। उन्होंने कहा, अंतर्राष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है।

एशियाई शेरों की संख्या में हुआ इजाफा:-  
पीएम मोदी ने कहा, हमारे यहां एशियाई शेरों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है। आज गुजरात देश में एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है। इसके पीछे दशकों की मेहनत, शोध आधारित नीतियां और जन-भागीदारी की बड़ी भूमिका है। टाइगर्स की संख्या को दोगुना करने का जो लक्ष्य तय किया गया था उसे समय से पहले हासिल किया है।

असम में एक समय एक सींग वाले गैंडों का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था, लेकिन आज उनकी भी संख्या में वृद्धि हुई है। हाथियों की संख्या भी पिछले वर्षों में बढ़कर 30 हजार से ज्यादा हो गई है। देश के इन प्रयासों का प्रभाव आने वाली सदियों तक दिखेगा, और प्रगति के नए पथ प्रशस्त करेगा।

 

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