चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने माना है कि किसी भी नियोक्ता को महामारी की स्थिति का लाभ उठाने और अपने कर्मचारियों की छंटनी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हाई कोर्ट ने इस संबंध में श्रम कल्याण और कौशल विकास रोजगार विभाग को सभी श्रम आयुक्तों के परामर्श से स्थिति का आकलन करने और एक विस्तृत रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया है। तमिलनाडु में कामगारों या कर्मचारियों की सेवा शर्तों, गैर-रोजगार विवरणों के संबंध में अदालत ने यह निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एम एस रमेश ने कहा कि हालांकि कोविड-19 महामारी की स्थिति को दुर्भाग्य कहा जा सकता है, लेकिन नियोक्ताओं को इस दुर्भाग्य का फायदा उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। कोविड-19 महामारी और सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन के कारण कई श्रमिकों व कर्मचारियों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा था। इसी के साथ उत्पादन नहीं होने के कारण नियोक्ताओं को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा था। अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोविड-19 महामारी ने एक आपदा पैदा की है, जिसने श्रमिकों या कर्मचारियों के साथ-साथ नियोक्ताओं को प्रभावित किया है। विशेष रूप से उद्योगों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में जहां श्रम और औद्योगिक कानून लागू होते हैं।