जीवन में नीति की होनी चाहिए प्रधानता: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। स्वायंभूमनु के पुत्र उत्तानपाद जी महाराज, उत्तानपाद जी के दो पत्नियां थी सुनीति और सुरुचि। सुनीति के पुत्र ध्रुव जी महाराज, जिन्होंने पाँच वर्ष की अवस्था में तप किया और केवल छः महीने के तप में उन्हें भगवत प्राप्ति हुई। आध्यात्मिक अर्थ मनु महाराज के पुत्र उत्तानपाद है। हम सभी मनु की संतान हैं, इसलिए मानव कहलाते हैं। हम सभी उत्तानपाद हैं। उत्तानपाद जी की दो पत्नियां थी सुनीति और सुरुचि। आध्यात्मिक दृष्टि से ये दो विचारधाराएं हैं। नीति के आधार पर कार्य करना अथवा नीति की अनदेखी कर अपने रुचि के आधार पर कार्य करना, दोनों के फल अलग-अलग हैं। नीति पर चलेंगे तो उसका फल ध्रुव होगा। सुनीति के पुत्र ध्रुव हुए। ध्रुव का अर्थ है अटल, अचल, अविचल, भावनात्मक पक्ष किस प्रकार ध्रुव जी भगवत प्राप्ति किये।

सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम था, यक्षों के द्वारा मारा गया। जो हम अपनी रूचि के अनुसार कार्य करते हैं उसका परिणाम विनाशी है और जो नीति के आधार पर हम काम करते हैं उसका परिणाम अविनाशी है। इसलिए जीवन में नीति की प्रधानता होनी चाहिए। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि- कल की कथा में श्रीरामजन्म एवं श्री कृष्ण जन्म की कथा होगी और नंदोत्सव भी मनाया जायेगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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