आरबीआई लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को आत्मनिर्भर बनने का देगा मौका

उत्तराखंड। कोविड लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड लौटे तीन लाख से अधिक प्रवासियों को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलने जा रहा है। अब सरकार के रूरल बिजनेस इंक्यूबेटर (आरबीआई) मददगार बनेंगे। राज्य सरकार दो आरबीआई केंद्रों से इसकी शुरुआत करने जा रही है। इसका मकसद प्रवासियों के लिए बेहतर अवसर पैदा करना है ताकि उनके दोबारा पलायन करने के हालात न बनें। सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत पौड़ी गढ़वाल में कोटद्वार और कुमाऊं में अल्मोड़ा जिले के हवालबाग में आरबीआई केंद्र स्थापित किए गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जल्द ही इनका शुभारंभ करने जा रहे हैं। इन केंद्रों का मकसद प्रवासियों को स्वरोजगार के प्रति प्रेरित करते हुए उन्हें बाजार उपलब्ध कराना है। राज्य सरकार की ओर से स्थापित होने वाले दो आरबीआई प्रवासियों में उद्यमी सोच विकसित करने का काम करेंगे। ताकि ग्रामीण परिवेश में रहकर वह बेरोजगार युवाओं के रोजगार की राह भी बना सकें। इसके साथ ही अगर किसी प्रवासी के पास कोई बिजनेस आइडिया है तो यह सेंटर उसे विकसित करने में मदद करेगा। उस बिजनेस को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है, इसकी राह दिखाएगा। अगर कोई बिजनेस करना चाह रहा है तो उसे पूरी बिजनेस प्लानिंग की सुविधा दी जाएगी। किसी भी उद्यम से जुड़ी कानूनी पेचीदगियों की जानकारी देने के साथ ही कानूनी मदद भी दी जाएगी। यह केंद्र उद्यमियों को बाजार के अवसर भी उपलब्ध कराएंगे। इसके साथ ही उनके वित्तीय और आकर्षक निवेश के लिए भी अवसर उपलब्ध कराएंगे। आरबीआई के तहत प्रवासियों को पांच श्रेणियों में बांटा गया है। इसके तहत पहली श्रेणी सीड एंटरप्रेन्योर की है, जिसका मतलब उन उद्यमियों से है जो कि अपने व्यावसाय के पहले चरण में हैं। दूसरी श्रेणी, प्रारंभिक चरण उद्यमियों की है जो कि पंजीकरण कराने के बाद उत्पादन और ग्राहक सेवा शुरू कर चुके हैं। तीसरी श्रेणी, विकास चरण उद्यमियों की है, जिसके तहत उन लोगों को मदद मिलेगी जो कि कुछ समय से व्यवसाय कर रहे हैं और उनके उत्पादों की मांग भी है। चौथी श्रेणी, स्वयं सहायता समूह और प्रोड्यूसर ग्रुप की है, जिसके तहत उन्हें पूरी मदद उपलब्ध कराई जाएगी। पांचवीं श्रेणी, एग्रीगेटर या प्लेटफॉर्म की है, जिसके तहत राज्य के भीतर या राज्य के बाहर के उद्यमी, ग्रामीण उद्यमियों को बाजार का अवसर उपलब्ध कराएंगे।

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