नई दिल्ली। जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) संग्रह में बढ़ोतरी हुई है। यह इस बात का प्रमाण है कि देश में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है और अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई है। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार जुलाई 2022 में 1.49 लाख करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रह हुआ है, जो पिछले वर्ष जुलाई माह की तुलना में 28 प्रतिशत अधिक है। जून 2022 में जीएसटी संग्रह 1,44,616 करोड़ रुपए था। जुलाई में सर्वाधिक कर संग्रह हुआ है जो एक कीर्तिमान माना जाएगा।
पहली जुलाई 2017 में देश में जीएसटी लागू होने के बाद जीएसटी संग्रह का यह दूसरा सबसे उच्चतम आंकड़ा है। यह लगातार पांचवां महीना है जब जीएसटी संग्रह 1.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक है और हर महीने जीएसटी संग्रह में तेजी की प्रवृत्ति बनी हुई है। जुलाई 2022 में जीएसटी संग्रह 41,420 करोड़ रुपए वस्तुओं के आयात से वसूला गया है, जबकि से संग्रह की हिस्सेदारी 10,920 करोड़ रुपए है।
जीएसटी संग्रह में आई यह तेजी सरकारी राजस्व के लिए अवश्य राहतकारी है लेकिन जीएसटी दरों में विसंगतियों के चलते आम जनता की मुश्किलें भी बढ़ी हैं। इस बार कुछ ऐसी वस्तुओं पर भी जीएसटी लगा दिया गया जिससे आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। इसे लेकर जनता में आक्रोश भी है।
जब जीएसटी संग्रह में निरन्तर इतनी वृद्धि हो रही है तब सरकार को जनता को आवश्यक राहत देने पर भी विचार करना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जनता महंगाई से त्रस्त है। महंगाई दर में निरन्तर वृद्धि से जनता की मुश्किलें बढ़ गई हैं। महंगाई पर अंकुश लगाने की दिशा में सरकार को प्रभावी कदम उठाने होंगे।
जिस प्रकार से महंगाई बढ़ रही है वह सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए भी गम्भीर चिन्ता का विषय है। तीन अगस्त से मौद्रिक समिति को बैठक भी होने जा रही है, जिसमें मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए रिजर्व बैंक रेपो दर में वृद्धि कर सकता है। इससे ब्याज दरें बढ़ जाएंगी और ईएमआई के लिए अधिक भुगतान करना पड़ेगा। इसलिए अब राहतकारी कदम उठाना आवश्यक हो गया है।