नई दिल्ली। शान्ति भंग करने और लोगों की भावनाएं भड़काने के आरोप में पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा आईएमआईएस प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और स्वामी यति नरसिंहानन्द समेत 32 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करना दिल्ली पुलिस का सही कदम है। इन पर नफरत फैलाने और सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट करने का आरोप है।
दिल्ली पुलिस ने पैगम्बर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर हुए विवाद के बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए यह काररवाई की है जो आवश्यक और सामयिक है। हालांकि सरकार ने स्थिति की नजाकत को भांपते हुए तत्काल अपने प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन जिन्दल को डैमेज कंट्रोल
करते हुए पार्टी से निष्कासित कर दिया और स्पष्ट किया कि यह निजी विचार सरकार का बयान नहीं हो सकता। पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिम देशों के साथ भारत के सम्बन्ध काफी अच्छे हो गये हैं और रिश्तों को नयी ऊंचाई भी मिली है, जो पिछले दिनों की विवादित टिप्पणियों के बाद नकारात्मक रूप से प्रभावित होती दिख रही है।
भारत की विदेश नीति को वैश्विक स्तर पर जिस तरह सराहना मिली उसमें प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का बड़ा हाथ है लेकिन विवादित टिप्पणियों के बाद 57 मुस्लिम राष्ट्रों की संस्था की नाराजगी देश की विदेश नीति को असहज करने वाली है। सामाजिक और धार्मिक संघटनों की इस विवादित टिप्पणी की खुलकर निन्दा करने से मुस्लिम देशों से
भारत के आपसी रिश्तों के प्रभावित होने की आशंका बढ़ गयी है। केन्द्र सरकार अचानक रिश्तों में आयी खटास कम करने की कोशिश कर रही है, जिसमें काफी हद तक सफल होती दिख रही है। देश के नागरिकों को भी ऐसे विवादित बयानों से बचना चाहिए। अभिव्यक्ति की आजादी किसी की धार्मिक भावनाओं पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं देता।
सार्वजनिक मंच से इस तरह का बयान कटुता पैदा करता है। इससे सामाजिक समरसता को आघात पहुंचता है। देश-समाज में इस तरह का बयान नहीं होना चाहिए। अभद्र टिप्पड़ी दंडनीय है। भले ही भड़काऊ बयान देने वाले लोगों पर शिकंजा कस गया है, लेकिन उन पर लगातार सख्ती करने की जरूरत है। इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया को जल्दी से पूरा कर फैसला सुनाना चाहिए जिससे विद्वेष फैलाने वालों को सबक मिल सके।