नई दिल्ली। सीबीएसई 12वीं के छात्रों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। आप सभी को बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं के उन छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत दी है, जो अगस्त में आयोजित 12वीं की अंक सुधारक परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन उनके अंक मूल परीक्षा में आए अंकों से कम हैं या फेल ही हो गए हैं। इस प्रकार के छात्रों की इस समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए कहा कि सीबीएसई को उन छात्रों की समस्या पर विचार करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो इस वर्ष 12वीं कक्षा में अंक सुधारने के लिए परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन उनको कम अंक मिले है या फेल फेल हो गए हैं। ऐसे में सीबीएसई बोर्ड को इन छात्रों की परेशानी को समझना चाहिए, क्योंकि इससे उनके उच्च अध्ययन के लिए उनके द्वारा प्राप्त प्रवेश प्रभावित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है कि अंक सुधार परीक्षा में बैठने वाले छात्रों ने अपने मूल परिणामों के आधार पर प्रवेश लिया है और अब ऐसे में कोई गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए।
इस दौरान जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की एक बेंच में इस मामले की सुनवाई चल रही है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कहा है कि बोर्ड ऐसे छात्रों के लिए अपने मूल परिणाम को बरकरार रखें और जो मूल्यांकन नीति के आधार पर प्रकाशित पहले किया गया था।
इस संबंध में अधिवक्ताओं ने सीबीएसई बोर्ड के वकील से कहा कि अंक सुधार परीक्षा में छात्रों को कम अंक मिले हैं या फेल भी हुए हैं, तो उनका दाखिला भी प्रभावित होगा। हालांकि यह कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है, बल्कि एक बार की नीति है, इस पर विचार करना चाहिए। जानकारी के मुताबिक पिछले वर्ष 2020 में सीबीएसई बोर्ड ने कोविड-19 महामारी की वजह से पारंपरिक तरीके से कक्षा 10 और कक्षा 12 के लिए वार्षिक परीक्षा आयोजित नहीं कर सका था। ऐसे में सीबीएसई बोर्ड ने एक वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति का विकल्प चुना था।
सीबीएसई बोर्ड द्वारा एक सारणीयन नीति बनाई गई थी और उसी के आधार पर छात्रों को अंक दिए गए थे। इस नीति के तहत एक प्रावधान यह भी था, जहां छात्रों को वैकल्पिक मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में अपने अंकों में सुधार करने की स्वतंत्रता दी गई थी। इस नीति के तहत अगस्त में परीक्षा आयोजित की गई थी। वहीं अब इस परीक्षा में कम अंक पाने वाले स्टूडेंंट्स ने यह मांग की है कि उनके मूल अंक बरकरार रखें जाए।