देश में डॉक्टरों की कमी पर उप-राष्ट्रपति ने जताई चिंता

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने देश में डॉक्टरों की कमी पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रशिक्षित मानव संसाधनों की कमी को युद्ध स्तर पर दूर करने की अपील की है। देश में प्रत्येक डॉक्टर पर एक हजार से अधिक मरीजों की जिम्मेदारी को देखते हुए उन्होंने देश के प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनाने पर जोर दिया है। वह रविवार को यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस (यूसीएमएस) के दीक्षांत समारोह में पहुंचे थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 1:1000 के मानदंड के मुकाबले भारत में डॉक्टर जनसंख्या के 1:1511 के निम्न अनुपात को देखते हुए उन्होंने चिंता जाहिर की। उन्होंने देश में पैरामेडिकल कर्मचारियों की कमी का उल्लेख करते हुए मिशन मोड में नर्सों की जनसंख्या के अनुपात डब्ल्यूएचओ के 1:300 के मानदंड की तुलना में भारत में 1:670 में सुधार लाने की अपील की। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए बेहतर प्रोत्साहन और अवसंरचना का निर्माण करने का सुझाव दिया। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि चिकित्सा सलाह या परामर्श आम लोगों के लिए सुलभ और सस्ता होना चाहिए। भारतीय नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ ने अपने कौशल, समर्पण और देखभाल करने वाले स्वभाव के साथ पिछले कई वर्षों में विश्व स्तर पर बड़ी प्रतिष्ठा और मांग अर्जित की है। उन्होंने कहा कि ई-स्वास्थ्य महिलाओं को भी सशक्त बना सकता है और मातृ स्वास्थ्य और अन्य मुद्दों पर आवश्यक जागरूकता ला सकता है। नायडू ने जोर देकर कहा कि जब भारत डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है तो देशवासियों को इसका लाभ उठाना चाहिए और स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति लानी चाहिए। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने स्वास्थ्य पर अत्यधिक खर्च पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के स्वास्थ्य व्यय निम्न आय वाले परिवारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं जिनके सामने गरीबी में धकेले जाने का जोखिम होता है। उन्होंने ने सभी पात्र लोगों से जल्द से जल्द टीकाकरण कराने का आह्वान किया। उन्होंने लोगों से अत्यधिक गंभीरता के साथ कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की भी अपील की। साथ ही कहा कि हम आत्म संतुष्ट होकर तीसरी लहर को आमंत्रित नहीं कर सकते हैं। दीक्षांत समारोहों के दौरान संकाय और अन्य लोगों द्वारा पारंपरिक वेशभूषा (रोब) की प्रथा का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने इसे बंद किए जाने की इच्छा जताई और ऐसे अवसरों पर सरल भारतीय पोशाक पहनने का सुझाव दिया। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर पी सी जोशी, आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव, दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के डीन प्रोफेसर बलराम पाणि और यूसीएमएस के प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार जैन भी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *