नई दिल्ली। कोरोना काल के बाद की भारतीय इकोनॉमी में एक सेक्टर जो सबसे ज्यादा संभवानाओं वाले सेक्टर के तौर पर स्थापित हुआ, वह फिनटेक सेक्टर है। वैसे तो देश में पहले से उपलब्ध मजबूत आइटी का ढांचा, प्रतिभाशाली आइटी प्रोफेशनल्स और विशाल घरेलू बाजार ने फिनटेक सेक्टर को पनपने का एक बढि़या माहौल दिया है। साथ ही सरकार की तरफ से मिलने वाले प्रोत्साहन की अहमियत को भी नकारा नहीं जा सकता। आम बजट 2021-22 में भी वित्त मंत्री ने फिनेटक सेक्टर की सहूलियत के लिए कई कदम उठाये थे। पिछले एक वर्ष के भीतर भारत में 43 नए यूनिकॉर्न कंपनियां स्थापित हो चुकी हैं।
भारत को तकनीकी आधारित इकोनॉमी में तब्दील होने के संकेत मिल रहे हैं। फिनटेक की एक मांग यह है कि बैंक के लिए कुल वितरित कर्ज को एनबीएफसी के जरिए वितरित करने की मौजूदा सीमा पांच फीसद से बढ़ा कर सात फीसद करने का ऐलान किया जाए। कई फिनटेक एनबीएफसी के तौर पर काम कर रहे हैं और पहले वो बैंक से फंड हासिल करते हैं, बाद में उसे ग्राहकों के बीच देते हैं। बजट पूर्व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब अर्थविदों के साथ बैठक की तो उसमें भी फिनटेक को लेकर सबसे ज्यादा फोकस देने के सुझाव आये थे। एक बड़ा कारण यह बताया गया था कि यहां लघु और मझोले उद्योगों को अभी भी पर्याप्त कर्ज नहीं मिल पा रहा।
कुछ दूसरे फिनटेक उद्यमियों ने कहा है कि आरबीआइ की तरफ से गठित जयंत कुमार दास समिति की कई सिफारिशों को इस साल हरी झंडी मिलने के आसार हैं। ऐसे में आम बजट के जरिए सरकार भी उचित माहौल बनाने में बड़ा योगदान कर सकती है।