नई दिल्ली। पांच राज्यों के चुनाव घोषित होते ही मीडिया महोत्सव शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि यह चुनाव 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल हैं और भाजपा कांग्रेस सहित उन सभी राजनीतिक दलों जो मैदान में हैं, की अग्निपरीक्षा इन चुनावों में होगी। लेकिन वास्तविकता है कि यह चुनाव राजनीतिक दलों के लिए नहीं, बल्कि आम जनता या मतदाताओं की अग्निपरीक्षा साबित होने जा रहे हैं।
क्योंकि इन चुनावों के नतीजे ही मतदाताओं के मानस का पैमाना होंगे और उनके अनुसार ही देश की भावी राजनीतिक दिशा, दशा और उसके मुद्दे तय होंगे, जो अगले लोकसभा चुनावों की भूमिका तैयार करेंगे। जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, उनमें चार राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा की सरकारें हैं, जबकि पंजाब में कांग्रेस सत्ता में है।
भाजपा को अपने चार राज्य बचाने और साथ ही पंजाब में जहां वह पहली बार बिना अकाली दल की बैसाखी के उतर रही है, में अपने बलबूते कमल खिलाने की चुनौती है। वहीं कांग्रेस के सामने पंजाब में अपनी सरकार बचाने और उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा में सरकार बनाने और उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में चमत्कारिक प्रदर्शन करने का लक्ष्य है। वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अपने सहयोगी दलों के साथ भाजपा गठबंधन को रोकने और अपनी सरकार बनाने के मंसूबे के साथ मैदान में है तो वहीं बसपा की कोशिश कम से कम इतने विधायक जिताकर लाने की है कि बिना उसके कोई सरकार न बन सके।
आम आदमी पार्टी पंजाब में इस बार सरकार बनाने से न चूकने के लिए पूरी ताकत लगा रही है और उत्तराखंड, गोवा व उत्तर प्रदेश में भी चुनाव मैदान में है। इन विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा की तरह फिर भाजपा के सेनापति होंगे, जिनकी लोकप्रिय छवि को पार्टी हर चुनावी राज्य में भुनाने की कोशिश करेगी। बता दें कि पीएम मोदी के साथ उनके सिपहसालार के रूप में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित भाजपा के तमाम बड़े नेता चुनाव प्रचार में जुट गए हैं।
उधर कांग्रेस में पंजाब में जहां जीत का दारोमदार मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ आदि नेताओं पर है तो उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पार्टी के तारणहार हैं। आम आदमी पार्टी को पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और गोवा में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर सबसे ज्यादा भरोसा है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अकेले ही पीएम मोदी और सीएम योगी की सेना को मजबूत टक्कर दे रहे हैं। जबकि बसपा प्रमुख मायावती को प्रचार से ज्यादा अपने जनाधार की निष्ठा पर भरोसा है। हालांकि पार्टी महासचिव सतीश मिश्रा 2007 की तरह ब्राह्मण को जोड़ने के लिए लगभग पूरे प्रदेश में घूम-घूम कर सभाएं कर चुके हैं।