नई दिल्ली। आम जनता पर महंगाई की मार बढ़ने का अंदेशा गहराने लगा है। थोक खरीदारों के लिए डीजल 25 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया। डीजल पर एक साथ पहली बार इतनी बड़ी वृद्धि हुई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 40 प्रतिशत उछाल के चलते यह कदम उठाया गया है।
हालांकि पेट्रोल पंपों से बिकने वाले डीजल के खुदरा दामों में अभी कोई बदलाव नहीं हुआ है। पर परिवहन व माल ढुलाई महंगी होने से इस वृद्धि का परोक्ष असर हर क्षेत्र पर पड़ना तय है। उधर दूध, चाय, कॉफी व मैगी के महंगा होने के बाद अब उपभोक्ता उत्पादों के लिए ग्राहकों को जेब और ढीली करनी पड़ सकती है।
कंपनियां उत्पादों की कीमतों में 10 फीसदी बढ़ोतरी की तैयारी कर रही हैं। पैकेजिंग सामान के दामों में उछाल और रूस-यूक्रेन के बीच जंग के चलते एफएमसीजी कारोबार को झटका लगा है। कंपनियाें का कहना है, इससे गेहूं, खाद्य तेल और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आएगा।
डाबर और पारले जैसी कंपनियों की हालात पर नजर है, वे मुद्रास्फीति के दबाव से निपटने के लिए कुछ कदम उठाएंगी। हिंदुस्तान यूनिलीवर और नेस्ले ने बीते हफ्ते ही खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ाए हैं। वहीं पारले प्रोडक्ट्स के मयंक शाह ने कहा कि हम इंडस्ट्री की ओर से कीमतों में 10 से 15 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं।
डाबर इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी अंकुश जैन ने कहा कि महंगाई दर लगातार ऊंची बनी हुई है, यह लगातार दूसरे साल चिंता की वजह है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के दबाव की वजह से उपभोक्ताओं ने अपना खर्च कम किया है। वे छोटे पैक खरीद रहे हैं। स्थिति पर हमारी नजर है और चर्चा के बाद कदम उठाएंगे।