नई दिल्ली। चीन और भारत के बीच एलएसई को लेकर काफी समय से गतिरोध चला रहा है। इसी बीच एक और नई घटना हुई है कि चीन ने उत्तर भारत के पावर ग्रिड को हैक करने की एक खतरनाक कोशिश की है। खुफिया विभाग ने यह भी दावा किया है कि अगस्त से मार्च तक भारत के कम से कम सात स्टेट लोड डिस्पैच स्टेटस सेंटर (एसएलडीसी) में चीनी हैकरों की घुसपैठ का पता लगाया गया है।
यह सेंटर संबंधित राज्यों में बिजली आपूर्ति की रियल टाइम की निगरानी करते हैं। यह साइबर हमले उत्तर भारत के खास तौर से लद्दाख से लगी भारत चीन सीमा इलाके में स्थित केंद्रों पर किए गए हैं। रिकॉर्डर फ्यूचनर की ओर से कहा गया है कि पावर ग्रिड के केंद्रों को निशाना बनाने के अलावा चीन की सरकारी हैकरों ने भारत के आपात प्रतिक्रिया तंत्र पर भी धावा बोला है। दरअसल चीन भारतीय पावर ग्रिड को बार बार निशाना इसलिए भी बना रहा है ताकि एलएसी पर भारत के विकास कार्यों और आधारभूत संरचनाओं की अहम जानकारी उसे मिल सके।
भारत में कुल पांच पावर ग्रिड हैं और इसमें खास बात यह है कि सभी ग्रिड आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और करीब करीब एक ही सरवर पर काम करते हैं। भारत की बिजली व्यवस्था पर चीन का यह साइबर अटैक एक बहुत बड़े खतरे की तरफ इशारा करता है। आमतौर पर कोई भी देश ऐसा इसलिए तभी करता है जब वह भविष्य में किसी देश की बिजली व्यवस्था को हैक करके वहां ब्लैकआउट की स्थिति पैदा करना चाहता हो। 1915 में रूस ने यूक्रेन के साथ ऐसा ही काम किया था।
23 दिसंबर 15 को यूक्रेन में तीन घंटे तक बिजली गायब रही और इससे दो लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे। दुनिया में पावर ग्रिड पर साइबर हमले का पहला मामला 1910 में आया था स्टकनेट नाम के कंप्यूटर वायरस ने ईरान में परमाणु सेंट्रीफ्यूज को डिस्टर्ब कर दिया था। भारत में साइबर हमलों की बात करें तो 12 अक्टूबर को मुंबई में साइबर हमले के बाद 10 से 12 घंटे बिजली आपूर्ति बाधित हुई थी। भारत में 2020 में 17 हजार 507 साइबर हमले हुए यानी हर दिन 71 वेबसाइट को हैक किया गया।
भारत में हर 10 मिनट पर एक साइबर अटैक होता है और 75 फ़ीसदी मामलों में यह हमले एक दूसरे देशों से होते हैं। 2019 में भी भारत को साइबर हमलों की वजह से करीब 125 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। भारत में 24 फ़ीसदी वित्तीय संस्थान, स्वास्थ्य से जुड़ी 15 कंपनियां, सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़ी 12 फ़ीसदी और 15 फ़ीसदी रिटेल कंपनियां हर साल साइबर हमलों का शिकार होती हैं।
यही नहीं जुलाई 2016 में यूनियन बैंक आफ इंडिया का पूरा सिस्टम ही हैक कर लिया गया था और बैंक खातों से लगभग 170 करोड़ चुराने की कोशिश की गई थी। आज अगर पूरी दुनिया की बात करें तो साइबर अटैक की वजह से हर मिनट पूरी दुनिया को 84 करोड़ का नुकसान होता है। 2019 के मुकाबले दो गुना और इधर पांच साल पहले से चार गुना ज्यादा नुकसान बढ़ गया है। ऐसे में कहा जा सकता है कि आज देश और दुनिया के समक्ष साइबर हमले एक बहुत बड़ी चुनौती बन कर उभर गए हैं और इनसे निपटना बेहद जरूरी है।