योग। घबराहट होना काफी सामान्य स्थिति है, इसके कई कारण हो सकते हैं। नकारात्मक भावनाएं इस समस्या को अधिक प्रेरित करती हैं, हालांकि इस तरह की समस्याएं कुछ समय में स्वत: ठीक भी हो जाती हैं। अगर आपको लंबे समय तक घबराहट की दिक्कत बनी रहती है तो इस बारे में किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए। लंबे समय तक बनी रहने वाली चिंता और घबराहट की समस्या मानसिक स्वास्थ्य विकारों को बढ़ाने वाली भी हो सकती है, जिसके बारे में सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते है कि यदि आपको अक्सर घबराहट होती है तो इस बारे में विशेषज्ञ की सलाह के आधार पर स्थिति के कारणों का सही निदान किया जाना जरूरी हो जाता है। आमतौर पर लाइफस्टाइल और आहार में बदलाव करके घबराहट और चिंता जैसी समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है। योग को दिनचर्या में शामिल करना भी आपके लिए लाभकारी माना जाता है। तो आइए जानते है कि कौन से योगासन इस समस्या से राहत दिला सकते है।
उष्ट्रासन योग –
उष्ट्रासन, घबराहट और तनाव को कम करने वाले सबसे प्रभावी योगाभ्यासों में से हैं। ये आपको तनाव मुक्त करने के साथ पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करने वाले अभ्यास हैं। बेहतर रक्त परिसंचरण होने से ऑक्सीजन की आपूर्ति में सुधार होता है जिससे दिमाग और शरीर बेहतर तरीके से काम करता है। नियमित रूप से इस योगासन के अभ्यास के कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।
बद्धकोणासन योग –
बद्धकोणासन योग को बटरफ्लाई पोज के तौर पर भी जाना जाता है, इस योग के अभ्यास की आदत बनाना आंतरिक जांघों और कमर को स्ट्रेच करने में मदद करता है। अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए इस आसन को करें, यह आपको तनाव मुक्त करने के साथ चिंता-घबराहट जैसी भावनाओं को कंट्रोल करने में सहायक है। बद्धकोणासन योग को पूरे शरीर को आराम देने वाले अभ्यास के तौर पर भी जाना जाता है। इसका अभ्यास भी काफी आसान होता है।
ध्यान मुद्रा –
मेडिटेशन यानी कि ध्यान मुद्रा का अभ्यास करना भय और चिंता को कम करने के साथ मन को शांति प्रदान करने वाले योगासनों में से एक है। योग विशेषज्ञों का कहना है ध्यान योग के माध्यम से, हम मन को वर्तमान क्षण में रखने के लिए प्रशिक्षित करते हैं, जिससे चिंता-तनाव आदि विकार कम होते हैं और इससे मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है। मेडिटेशन करने वाले लोगों में ब्लड प्रेशर की समस्या का जोखिम भी अन्य लोगों की तुलना में कम होता है।