इस चैत्र नवरात्रि आपके जीवन में हो सकते है यह बदलाव…

आस्‍था। देश भर में आज से चैत्र नवरात्रि पर्व की शुरुआत हो गई है इसी के साथ आज ही हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2079 का पहला दिन भी है। ऐसा माना जाता है कि आज ही के दिन भगवान ब्रह्राजी ने समूची सृष्टि की रचना की थी। नौ दिन के इस नवरात्रि‍ का समापन 10 अप्रैल को होगा, यहीं नही इस बार एक भी दिन का क्षय नहीं होते हुए 11 विशेष योग भी बन रहें है, जिससे कहीं ना कहीं आपके जीवन में कोई बदलाव देखने को मि‍ल सकता है। इन नौ दिनों में मां की पूजा के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं। इस बार नवरात्रि घटस्थापना का मुहूर्त आज सुबह 6:03 मिनट से 8:31 मिनट था। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना शुभ मुहूर्त में करने के साथ ही मां के पहले स्वरूप देवी शैलपुत्री की आराधना की जाती है। अगर आप इस मुहुर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाए तो चिंता न करें अभिजित काल में 11:48 से 12:37  तक कलश स्थापना कर सकते है।

 

  • सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
    शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
  • ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

 

मां दुर्गा की आरती:-

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

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