यात्रा। दीपोत्सव को लेकर हर कोई उत्सुक रहता है। दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनाया जाता है। इन सभी पर्व का अपना विशेष महत्व है। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। इस दिन महिलाएं गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और आसपास श्रीकृष्ण, ग्वाल-बाल आदि की आकृति बनाकर उसकी पूजा करती हैं। गोवर्धन पूजा भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण से जुड़ा पर्व है। इस पर्व के मौके पर आप परिवार के साथ श्रीकृष्ण की नगरी घूमने जा सकते हैं। इस बार मथुरा में खास गोवर्धन पूजा देखने जा सकते हैं।
गोवर्धन पूजा की कथा:-
इस साल गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। गोवर्धन पूजा श्री कृष्ण के बाल्यकाल की नटखट शरारतों से जुड़ा एक पर्व है। एक बार गोकुल में बहुत ज्यादा वर्षा हुई। इंद्रदेव के नाराज होने पर मूसलाधार बारिश से लोग परेशान हो गए। तब श्रीकृष्ण ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत के पास ले गए और कहा कि हे गोवर्धन नाथ सभी ब्रजवासियों की रक्षा करो। इतना कहकर कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर पर्वत को उठा लिया और सभी बृजवासी बारिश से बचने के लिए पर्वत के नीचे आ गए। उस दिन के बाद से गोवर्धन पर्वत की पूजा का रिवाज है। माना जाता है कि वह बादलों को रोककर बृज में वर्षा कराते हैं, जिससे कृषि अच्छी होती है।
कैसे जाएं श्रीकृष्ण की नगरी:-
उत्तर प्रदेश में स्थित मथुरा-बरसाना और गोकुल का सफर दिल्ली से महज ढाई से तीन घंटे का रास्ता है। यमुना एक्सप्रेस वे से बस या टैक्सी से सफर पर निकल सकते हैं। कम समय और कम पैसों में आप बृज घूम सकते हैं। गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने के अलावा कृष्ण जन्मभूमि के दर्शन के लिए भी जा सकते हैं।
बृज में घूमने के लिए जगहें:-
बृज में दिवाली से ज्यादा धूम गोवर्धन पूजा की होती है। यहां कई मंदिरों में गोवर्धन पूजा के दिन खास आयोजन होता है। बृज में घूमने के लिए काफी कुछ है। मानसी गंगा के तट पर मुकुट मुखारविंद मंदिर, दानघाटी मंदिर और जतीपुरा का मुखारबिंद मंदिर बना है। गोवर्धन पूजा के मौके पर जतीपुरा में अन्नकूट पर विशेष आयोजन होता है।