नई दिल्ली। जनप्रतिनिधियों को विधायिका की गरिमा और मर्यादा के लिए लगन से काम करना चाहिए। विधायिका की धूमिल होती गरिमा पर चिंता जताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन चर्चाओं और बहस के लिए होते हैं, न कि बाधा पैदा करने के लिए। विधेयकों पर विस्तृत चर्चा हो, जिससे समाज के हर तबके की बात कानून और विधान में समाहित हो सके।
राष्ट्रपति और राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान बाधा उत्पन्न करना संसद की गरिमा के अनुकूल नहीं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राष्ट्रीय युवा संसद के तीसरे संस्करण के समापन समारोह में कहा कि युवाओं को संसदीय कार्यवाही और लोकतांत्रिक प्रकिया को समझने के लिए ये अनोखा कार्यक्रम है।
इस के जरिए युवा नये भारत के निर्माण में भागीदारी के लिए आगे आएंगे। अलग-अलग क्षेत्र के युवाओं की बौद्धिकता और ऊर्जा से भारत का विश्व गुरू का दर्जा और पुख्ता होगा।