Constitution Day 2024: भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान के महत्व व भीम राव आंबेडकर के विचारों और अवधारणाओं को फैलाने के उद्देश्य से संविधान दिवस मनाया जाता है. इस दिन संविधान निर्माण समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ. सर हरिसिंह गौर का जन्मदिन भी मनाया जाता है.
बता दें कि संविधान किसी भी देश की शासन प्रणाली और राज्य को चलाने के लिए बनाया गया एक दस्तावेज होता है, जिसमें सरकार के विभिन्न अंगों के अधिकार और कर्तव्यों को परिभाषित किया गया होता है. ऐसे में चलिए जानते है कि पहली बार संविधान दिवस कब मनाया गया था, इस दिन को मनाने की वजह क्या है और इसे 26 नवबंर को ही क्यो मनाया जाता है.
कब अपनाया गया भारत कर संविधान
बता दें कि 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के बाद भारत में संविधान की आवश्यकता को महसूस किया गया, जिसके बाद से इसपर काम किया जाने लगा और दो वर्ष, 11 माह और 18 दिन में संविधान बनकर तैयार हो गया. भारत का सविंधान बनने के बाद 26 नवंबर 1949 को इसे अपनाया गया था.
भारत गणराज्य का संविधान
हालांकि भारत गणराज्य का संविधान 26 जनवरी 1949 को बनकर तैयार हुआ, जिसे आधिकारिक तौर पर 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया. यही वजह है कि भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.
26 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है संविधान दिवस?
दरअसल, 26 नवंबर को संविधान निर्माण समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ. सर हरिसिंह गौर का जन्मदिन होता है. यही वजह है कि संविधान को अनाधिकृत तौर पर 26 नवंबर को ही लागू किया गया. हालांकि पहली बार संविधान दिवस साल 2015 में मनाया गया था और तभी से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
क्यों मनाया जाता है संविधान दिवस?
आपको बता दें कि साल 2015 में संविधान दिवस मनाने की शुरुआत होने के पीछे एक बड़ी वजह ये है कि वर्ष 2015 में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती थी. ऐसे में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने डॉ. भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजली देने के लिए इसी वर्ष संविधान दिवस मनाने का फैसला गया. हालांकि इस दिन को मनाने का मकसद संविधान के महत्व और डा. भीमराव आंबेडकर के विचारों को फैलाना है.
किसे दिया जाता है संविधान निर्माण का श्रेय?
डॉ. भीमराव आंबेडकर संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे. भारतीय संविधान के निर्माण का श्रेय डॉ. भीमराव आंबेडकर को दिया जाता है. जिन्हें ‘संविधान का जनक’ भी कहा जाता है. बता दें कि संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे और डॉ. राजेंद्र प्रसाद इसके अध्यक्ष थे.
दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान
मालूम हो कि भारत के संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान माना जाता है. इसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भाग हैं. भारतीय संविधान संघात्मक और एकात्मक दोनों तरह का है, जिसमें हमारे मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों का भी जिक्र किया गया है.
इसे भी पढें:- IND vs AUS: टीम इंडिया ने सूद समेत लिया बदला , टूटा 136 साल का रिकॉर्ड, भारत ने 295 रन से ऑस्ट्रेलिया को दी मात