Supreme Court: अनुबंध सेवाओं को पेंशन के लिए गिने जाने के हाईकोर्ट के फैसले पर अब सर्वोच्च न्यायलय ने अपनी मुहर लगा दी है। कहा जा रहा है कि इस फैसले के साथ ही उन सैंकड़ो कर्मियों को पेंशन का लाभ मिल जाएगा, जिनकी कुल नियमित सेवा न्यूनतम पेंशन के लिए भी कम थी। अब अनुबंध वाली सेवा को भी पेंशन के लिए गिन लिया जाएगा। न्यायाधीश एस रवींद्र भट्ट और न्यायाधीश अरविंद कुमार की पीठ ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया है।
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह उन सभी कर्मचारियों से विकल्प लें, जो वर्ष 2003 से पूर्व अनुबंध पर थे और 2003 के पश्चात नियमित किए गए। उसके तुरंत बाद उनकी पेंशन का निर्धारण करें। अदालत ने सारी प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए सरकार को चार महीनों का समय दिया है।