Maharashtra: छत्रपति शिवाजी महाराज की गाथा देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत के तौर पर काम करती है. UNESCO के 47वें बैठक में लिए गए एक ऐतिहासिक निर्णय में 2024-25 दौर के लिए भारत के आधिकारिक नामांकन के तहत ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप ऑफ इंडिया’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल कर लिया गया है. UNESCO कि मान्यता प्राप्त करने वाली भारत की 44वीं संपत्ति बन गई है, यह वैश्विक सम्मान भारत की चिरस्थायी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करता है, जो इसकी स्थापत्य प्रतिभा, क्षेत्रीय पहचान और ऐतिहासिक निरंतरता की विविध परंपराओं को प्रदर्शित करता है.
देशभर में शिवाजी महाराज के कई किले (Shivaji Forts) मौजूद हैं, जिनमें से अब 12 को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है. ये महाराष्ट्र और पूरे भारत के लोगों के लिए गौरवशाली क्षण है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह ने खुशी जताई है.
देश भर से बधाई संदेश
- इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर देश के नेताओं ने खुशी जताई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह सम्मान हर भारतीय के लिए गर्व की बात है. उन्होंने लोगों से इन किलों को देखने की अपील की.
- अमित शाह ने भी खुशी जाहिर की है. उन्होंने ट्वीट करते हैं कहा कि “देशवासियों के लिए यह गौरवशाली क्षण है. जब महाराजाधिराज छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलो को यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया गया.” उन्होंने अपने रायगढ़ किले के दौरे का भी जिक्र किया और कहा कि “कुछ समय पहले छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़े प्रति को आत्मसाक्षात्कार करने का मौका मिला था. यह हिंद स्वराज की रक्षा के स्तंभ है और इन्हीं से करोड़ों देशवासियों को प्रेरणा मिलती है.”
- वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे राज्य के लिए गौरव का क्षण बताया. उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन किया और नागरिकों को बधाई दी. उन्होंने कहा, मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि हमारे महानतम राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है.
- महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाना राज्य के लिए ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व व गौरव की बात है. पवार ने कहा कि ये किले छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा योद्धाओं की वीरता, बलिदान और दूरदर्शिता के साक्षी हैं और अब उनकी विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान और सम्मान मिलेगा.
क्षेत्रीय अनुकूलन को करता है उजागर
शिवनेरी किला, लोहागढ़, रायगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और गिंगी किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित हैं, जबकि साल्हेर किला, राजगढ़, खंडेरी किला और प्रतापगढ़ पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय, महाराष्ट्र सरकार द्वारा संरक्षित हैं. तटीय चौकियों से लेकर पहाड़ी गढ़ों तक विविध भूभागों में स्थित ये किले भूगोल और राजनीतिक रक्षा योजना की परिष्कृत समझ को दर्शाते हैं. साथ मिलकर ये एक सुसंगठित सैन्य परिदृश्य का निर्माण करते हैं, जो देश में दुर्ग निर्माण परंपराओं के नवाचार और क्षेत्रीय अनुकूलन को उजागर करता है.
ऐतिहासिक फैसला लिया गया
यह प्रस्ताव जनवरी 2024 में विश्व धरोहर समिति के विचारार्थ भेजा गया था और सलाहकार निकायों के साथ कई तकनीकी बैठकों एवं स्थलों की समीक्षा के लिए ICOM के मिशन के दौरे सहित 18 महीने की कठोर प्रक्रिया के बाद शुक्रवार की शाम पेरिस के यूनेस्को हेड ऑफिस में विश्व धरोहर समिति के सदस्यों द्वारा यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया.
विश्व धरोहर में शामिल 12 किलों की खासियत
- सालहेर किला- यह महाराष्ट्र का सबसे ऊंचा किला है. यह नासिक जिले में है और यहां से बहुत सुंदर नज़ारा दिखता है.
- शिवनेरी किला- यह पुणे जिले में है. छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म इसी किले में हुआ था.
- लोहगढ़ किला- यह पुणे जिले में है. इसका मतलब है ‘लोहे जैसा मजबूत किला’. यह मराठा साम्राज्य की रक्षा में बहुत महत्वपूर्ण था.
- खंडेरी किला- यह रायगढ़ जिले में समुद्र के बीच एक द्वीप पर है. शिवाजी महाराज ने इसे समुद्री रास्तों पर नियंत्रण के लिए बनवाया था.
- रायगढ़ किला- यह शिवाजी महाराज की राजधानी था. उन्हें यहीं पर 1674 में छत्रपति बनाया गया था.
- राजगढ़ किला- यह पुणे जिले में है. यह छत्रपति शिवाजी महाराज की पहली राजधानी था.
- प्रतापगढ़ किला- यह सतारा जिले में है. यह किला 1659 में अफजल खान के साथ हुए युद्ध के लिए मशहूर है.
- सुवर्णदुर्ग- यह रत्नागिरी जिले में समुद्र के बीच एक द्वीप पर है. यह मराठा नौसेना की ताकत का प्रतीक है.
- पन्हाला किला- यह कोल्हापुर जिले में है. शिवाजी महाराज ने इसे 1659 में जीता था.
- विजय दुर्ग- यह सिंधुदुर्ग जिले में समुद्र किनारे है. यह भारत के सबसे मजबूत समुद्री किलों में से एक है. शिवाजी महाराज ने इसे नौसेना का केंद्र बनाया.
- सिंधुदुर्ग- यह सिंधुदुर्ग जिले में समुद्र के बीच एक द्वीप पर है. शिवाजी महाराज ने इसे समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए बनवाया था. यहां शिवाजी महाराज के हाथों के निशान भी हैं.
- जिंजी किला- दक्षिण में स्वराज्य की तीसरी राजधानी- यह तमिलनाडु में है. इसे ‘दक्षिण भारत का सबसे मजबूत किला’ माना जाता है. यह किला तीन पहाड़ियों पर फैला हुआ है.
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