Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भक्ति चिंतामणि- भक्ति चिंतामणि है. जिनके घर में बस जाती है, उनके लिये सदैव प्रकाश ही प्रकाश रहता है. मोह रूपी दरिद्रता मिट जाती है. अज्ञान का अंधेरा सदा के लिये समाप्त हो जाता है. मदादि पतंगे इससे हार जाते हैं. काम आदि चोर, चोरी करने के लिये पास नहीं आ सकते. भक्ति मणि के प्रभाव से विष भी अमृत हो जाता है. जीवन का दर्शन ही बदल जाता है. भक्त अभय हो जाता है.
राम भगति चिंतामनि सुंदर।
बसइ गरुड़ जाके उर अंतर।।
परम प्रकास रूप दिन राती।
नहिं कुछ चहिअ दिआ घृत बाती।।
मोह दरिद्र निकट नहिं आवा। लोभ बात नहिं ताहि बुझावा।।
प्रबल अविद्या तम मिटि जाई। हारहिं सकल सलभ समुदाई।।
ख़ल कामादि निकट नहिं जाहीं। बसइ भगति जाके उर माहीं ।।
गरल सुधासम अरि हित होई। तेहि मनि बिनु सुख पाव न कोई।।
ब्यापहिं मानस रोग न भारी। जिन्ह के बस सब जीव दुखारी।।
राम भगति मनि उर बस जाकें। दुख लवलेस न सपनेहुँ ताकें ।।
यदि जीव को भक्ति मणि मिल जाये तो अज्ञान की गांठ खुल जायेगी और जीव कृत कृत्य हो जायेगा.
भगवान की भक्ति तन मन से होनी चाहिए. हम लोग तन तो भक्ति में लगाते हैं मन को छोड़ देते हैं और जैसी भगवान की भक्ति होनी चाहिए वैसी नहीं हो पाती. हम अपने मन के मालिक हैं. मन ही जीवन की सीढ़ी है. सीढ़ी से ऊपर भी चढ़ा जा सकता है व नीचे भी उतरा जा सकता है जिसका निर्णय अपने व्यवहार व आचरण पर निर्भर करता है. अपना जीवन बनाना अपने हाथ में है. यदि जीवन गुण सम्पन्न व आकर्षक होगा, तो सभी हमारे अनुकूल होंगे जो हम चाहते हैं. यह लोकप्रियता का मापदंड है. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).