Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि गुणवान हो व्यक्ति यही पर्याप्त नहीं, शक्ति सम्पन्न भी होना चाहिये-श्रीमद्भागवत की रचना के लिये देवर्षि नारद व्यास जी महाराज को प्रेरित करने उनके आश्रम में पधारते हैं. व्यास जी, नारद जी का पूजन सत्कार करके पूछते हैं- इस वर्तमान समय में ऐसा गुणवान और वीर्यवान चरित्र कौन सा है जिसको मैं शब्दबद्ध करूं तो लोगों को जीवन जीने का एक आदर्श मिले.
चरित्र केवल गुणवान ही नहीं, वीर्यवान भी होना चाहिये. आज तकलीफ यह होती है कि गुणवान तो बहुत दिखाई देते हैं समाज में, लेकिन संसार में जितने गुणवान चरित्र हैं वे वीर्यवान नहीं हैं और संसार में वीर्यवान चरित्र दिखाई देते हैं वे गुणवान नहीं दिखाई देते. एक तरफ सज्जनता, एक तरफ दुर्जनता है. अब दुर्जनता तो बड़ी आक्रमक है और सज्जनता भगोड़ी बन गई है.
दुर्जनता तो आक्रामक है लेकिन सज्जनता भागती रहती है. हमें क्या है, मरने दो. यह सज्जनता का वाक्य है. कोई पीट रहा है, किसी गरीब को, गरीब मदद के लिए पुकार रहा है, सज्जन व्यक्ति या तो वहां से चला जायेगा, लेकिन उस गरीब की मदद नहीं करेगा. सज्जनता सदा अपने को बचाने में लगी हुई है. जबकि दुर्जनता बहुत आक्रामक रुख लिए हुये हैं. युद्ध के लिये तैयार हैं कौरव.
द्वारिकानाथ आये समझौता करने के लिये. कुन्ती ने भेजा है, आधा राज्य यदि नहीं देते हैं तो पांच पाण्डव के लिए पांच गांव ही दे दें, तो युद्ध नहीं करना है. दुर्योधन पांच गांव तो क्या एक सुई की नोंक के बराबर जमीन देने के लिये तैयार नहीं है. दुर्योधन कहता है श्रीकृष्ण से, कह देना पांडवों से कि भीख मांगकर कोई भूपति नहीं बन सकता, धरती पर शासन वीर लोग ही करते हैं. युद्ध के लिये तैयार है दुर्योधन. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).