मथुरा। श्री दीर्घविष्णु मंदिर प्रांगण में संस्कृत भारती मथुरा महानगर एवं श्री दीर्घविष्णु मंदिर सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में विश्व संस्कृत दिवस मनाया गया। देव भाषा संस्कृत के संरक्षण, प्रचार-प्रसार एवं जनमानस में सामान्य व्यवहार में इसके उपयोग के महत्व पर विचार व्यक्त किए गए। श्री दीर्घविष्णु मंदिर के महंत कांतानाथ चतुर्वेदी ने कहा कि संस्कृत के एक-एक शब्द में भगवत दर्शन होते हैं, संस्कृत भाषा के प्रयोग करने से मनुष्य की देह पवित्र होती है। हमारे देश में संस्कृत को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए। संस्कृत भारती मथुरा के महानगर अध्यक्ष आचार्य बृजेंद्र नागर ने कहा कि देव वाणी संस्कृत भाषा विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा है। निगम पार्षद पं. रामदास चतुर्वेदी शास्त्री, आचार्य मुरलीधर चतुर्वेदी व बालकृष्ण चतुर्वेदी ने भी विचार रखे। इससे पूर्व गोष्ठी का शुभारंभ श्री दीर्घविष्णु भगवान एवं पद्मालयी महालक्ष्मी जी के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित व सामूहिक सुंदर कांड का पाठ कर किया। गोष्ठी में संस्थान के महाप्रबंधक लालकृष्ण चतुर्वेदी, सिख संगत के सरदार राजेंद्र सिंह होरा, राधावल्लभ शास्त्री, आचार्य रामबली, ज्योतिषाचार्य सोनू शर्मा, पं. कामेश्वर नाथ मिहारी, दीनानाथ प्रेमी, पं. केदारनाथ नाथ तीर्थ पुरोहित व अनुज चतुर्वेदी रहे।